शा. महाविद्यालय मेहगांव में किया संविधान की प्रस्तावना का वाचन

मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन की शपथ ली

भिण्ड, 27 नवम्बर। शा. महाविद्यालय मेहगांव की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने प्राचार्य डॉ. आरके डबरिया के मार्गदर्शन में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गिरिजा नरवरिया द्वारा संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर भारतीय संविधान एवं मूल अधिकार के विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
प्राचार्य डॉ. आरके डबरिया ने सभी छात्र-छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना के महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराते हुए कहा कि भारत का संविधान इसकी प्रस्तावना के साथ शुरू होता है। संविधान की प्रस्तावना में इसके आदर्श, उद्देश्य और बुनियादी सिद्धांतों का समावेश किया गया है। भारतीय संविधान कठोरता और लचीलेपन के मेल का एक अनूठा उदाहरण कहा जा सकता है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने गर्व से कहा था कि भारत के संविधान को दुनिया के सभी ज्ञात संविधानों का निचोड करने के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है इसलिए यह भारतीय राज्य के आधिकारिक धर्म के रूप में किसी विशेष धर्म का समर्थन नहीं करता है। भारतीय लोकतंत्र एक व्यक्ति, एकमत के आधार पर कार्य करता है। यह सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की पद्धति के माध्यम से भारत में राजनीतिक सामानता स्थापित करता है।
अंत में भारतीय नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्यों का निष्ठा के साथ पालन करने के लिए सभी छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में शैक्षणिक स्टाफ डॉ. रेखा सुमन, डॉ. साधना कुशवाहा, प्रो. वंदना श्रीवास्तव, प्रो. आलोक मिश्रा, प्रो. सुनील बंसल, प्रो. दुर्गेश गुप्ता, प्रो. राधाकृष्ण शर्मा आदि ने भारतीय संविधान पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं द्वारा संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया गया। साथ ही भारतीय संविधान का नारा सत्यमेव जयते अर्थात सत्य की हमेशा विजय होती है। भारत माता की जय घोष के नारे लगाकर कार्यक्रम का समापन किया गया।