बादल की कलम से- श्री कृष्ण भक्ति भजन

घट घट में तेरा वास कन्हैया,
तेरी शरण से काम रे
गिरधारी रे
जीने का सहारा तेरा नाम रे
हमें दुनिया वालों से
क्या काम रे
हां हां भक्ति करूं
गुणगान रे
हमें तेरी शरण से काम रे…

मिथ्या दुनिया मिथ्या बंधन,
मिथ्या है यह ये माया
मिथ्या साथ में प्रीत बढ़ाना,
मिथ्या है यह ये काया
हां हां भक्ति करूं गुणगान रे
हमें तेरी शरण से काम रे…..

राग द्वेष अनुराग है जग में
मिथ्यात भरा जग ये सारा
निज स्वरूप को स्व मे जाना
पर से किया किनारा
हाँ हाँ प्यारा तेरा धाम रे
मुझे तेरी शरण से ही काम रे ….

निश दिन तेरा दर्शन पाऊं
कर्म निर्जरा निज में पाऊं
जीवन मेरा प्रभु चरणों में
आतम सुख प्रभु पाऊं
हाँ बिनती प्रभु आतम राम रे
मुझे तेरी शरण से ही काम रे…

गीतकार
किशोरी लाल जैन बादल
भिंड मध्य प्रदेश