नाबालिगा से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दो आरोपियों को आजीवन कारावास

सागर, 28 अगस्त। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त बॉबी खंगार को धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(डी)(ए) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(3), सहपठित धारा 511 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा अभियुक्त जॉनी बाबू खान को धारा 363 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 366(क) के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(डी)(ए) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 4/17 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (बालिका के पिता) ने 28 अगस्त 2021 को पुलिस थाना शाहगढ में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 27 अगस्त को रात करीब नौ बजे वह सभी खाना खाकर सो गए थे। रात 12.30 बजे उसकी पत्नी ने उसे जगाया और बताया कि बालिका घर में नहीं है। फिर वह लोग बालिका को आस-पास ढूंढते रहे पर बालिका कहीं नहीं मिली, तब बालिका को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला फुसलाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। 31 अगस्त को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने बताया कि 27 अगस्त की रात को अभियुक्तगण बॉबी खंगार एवं जानी बाबू खान उसको पकडकर मुंह बंद करके जबरदस्ती मोटर साइकिल पर बैठाकर ले जाकर अभियुक्तगण ने उसके साथ दुष्कर्म किया तथा मना करने पर जान से मारने की धमकी देना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना शाहगढ पुलिस ने धारा 363, 366, 376(3), 376(डी)(ए), 376(2)(एन), 506 भाग-2 भादंसं, धारा 3/4, 5जी/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, धारा 3(2)(व्ही), धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/एसटी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है। न्यायालय द्वारा टिप्पणी की गई कि किसी स्त्री की अस्मिता पर हुआ हमला उसे शारीरिक पीडा से कही ज्यादा मानसिक पीडा पहुंचाती है, जिससे उसके सपने, जीने की प्रेरणा, मान मर्यादा सभी चूर-चूर हो जाते है। हस्तगत प्रकरण में अभियुक्तगण द्वारा बालिका के साथ सामूहिक बलात्संग किया जाना प्रमाणित हुआ है। इन परिस्थितियों में अभियुक्तगण को युक्तियुक्त रूप से कठोर दण्ड से दण्डित करना न्यायोचित है।