मन को पावन करने के लिए भगवान की भक्ति करना है : विनय सागर

मुनि के सानिध्य में 48 दिवसीय भक्ताम्बर विधान में हो रही है सिद्धों आरधान

भिण्ड, 21 जुलाई। व्यक्ति अपने मन को पावन करने के लिए भगवान की भक्ति करता है, भगवान के गुणगान गाता है। हम प्रभु की भक्ति अनेक प्रकार से करते हैं। प्रभु की स्तुति करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, स्तोत्र पाठ पढक़र प्रभु को स्मरण आदि करके इंसान प्रभु की भक्ति करता है। आत्मा, मन एवं स्वयं को पावन बनाने के लिए प्रभु की आराधना बहुत जरूरी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को रोज सुबह उठकर नियम से प्रभु भक्ति एवं गुरुओं की सेवा करनी चाहिए। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में शुक्रवार महावीर कीर्तिस्तंभ में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में व्यक्त किए।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि भक्ताम्बर की महिमा के चलते अब भिण्ड शहर में चमत्कार होंगे। क्योंकि यह कोई मामूली भक्ताम्बर विधान नहीं है। यह भक्ताम्बर विधान अपने आप में एक अदभूत चमत्कारी सभी विघ्न बाधाओं को हरने वाला और भूत-प्रेत आदि को टालने वाला एक अनूठा पाठ है, जिसे एक बार भाव पूर्वक पूर्ण शुद्धि के साथ पढऩे से किसी भी आदि-व्यादि को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीड़ा समाप्त करने के लिए, दुख-दर्द समाप्त करने के लिए मुनिराज ने भगवान की भक्ति की तब बेडिय़ों में बंधे मानतुंग महामुनिराज ने भक्ताम्बर स्तोत्र की रचना की। इस महास्तोत्र में आचार्य मानतुंग आदिनाथ भगवान की ऐसी भक्ति करते हैं, ऐसा गुणगान गाते हैं कि भक्ताम्बर पढ़ते-पढ़ते उनके सारे ताले व बेडिय़ां अपने आप टूट जाती हैं और वे स्वयं ही बंधन मुक्त हो जाते हैं। भक्ताम्बर का एक-एक छंद बहुत ताकतवर है। उसमें सर्वशक्ति विद्यमान है। भक्ताम्बर की महिमा का जितना भी बखान किया जाए उतना रंचमात्र होगा, भक्ताम्बर की महिमा का बखान कोई साधारण व्यक्ति कर ही नहीं सकता, केवल गुरुओं के द्वारा ही भक्ताम्बर की महिमा को समझा जा सकता है।
इन्द्रों ने आदिनाथ का किया अभिषेक, ध्यान लगाकर की शांतिधारा
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शनो में पीले वस्त्रों में इन्द्रों ने शुद्ध जल के कलशों से भगवान आदिनाथ को जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखरबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा- जितेन्द्र जैन, अमन जैन भूता बाजार परिवार ने शांतिधारा की। शास्त्र भेंट समाज जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन जितेन्द्र जैन परिवार द्वारा किया गया।
भक्ताम्बर में भगवान आदिनाथ को भक्ति नृत्य के साथ चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में जितेन्द्र अमन जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर संगीतमय भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए 56 महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष समर्पित किए।