48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में सिद्धों आरधान गूंजी
विधान में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा के साथ पूजन में लोग ले रहे हिस्सा
भिण्ड, 20 जुलाई। दुनिया में हर चीज का मूल्य है, कुछ चीजों का सिर्फ मूल्य है, तो कुछ चीजें बहुमूल्य हैं। एक समय ही है जो अमूल्य है, समय को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता। आदमी पैसा तो ज्यादा से ज्यादा कमा सकता है पर समय नहीं कमाया जा सकता। दुनिया का पूरा पैसा मिल कर भी एक सैकेण्ड नहीं खरीद सकता। समय के रहते सम्हल जाओ वरना तुम्हें पता ही होगा कि समय की मार बडी गहरी होती है। यह बात श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन बर्षयोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार भिण्ड के तत्वावधान में गुरुवार महावीर कीर्तिस्तंभ में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि कपडा चूहा भी काटता है और दर्जी भी। चूहा काटता है तो बंटाधार हो जाता है और दर्जी काटता है तो उद्धार हो जाता है। जीवन ज्ञानी-अज्ञानी दोनों जीते हैं, अज्ञानी जीवन को तमाशा बनाकर जीता है और ज्ञानी जीवन को तीर्थ बनाकर। जीवन को तीर्थ बनाकर जीना है तो हर रोज कम से कम दो पुण्य जरूर करें। जिस रोज दो पुण्य न कर सको, शाम को दो रोटी कम खाना। रात में भूख लगेगी तो अपने आप अक्ल आ जाएगी। उन्होंने कहा कि पुण्य सबसे बडा सुरक्षा कर्मी है। इसलिए सत्कर्म करते चलो और पुण्य से झोली भरते चलो। केवल पैसा मत कमाओ। पैसे के साथ प्रतिष्ठा और प्रसन्नता भी कमाओ। पैसा तो वेश्या भी कमा लेती है। प्रतिष्ठा और प्रसन्नता पुण्य की हमजोली है। पैसा इस लोक में काम आ सकता है, परलोक में नहीं। परलोक में तो तुम्हारा पुण्य ही काम आएगा। वह पुण्य प्रभु के दर पर सिर झुकाने और प्रभु के बताए पथ पर चलने से मिलता है।
मंत्रों से भगवान आदिनाथ का कराया अभिषेक, हुई बृहद शांतिधारा
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में पीले वस्त्रों में इन्द्रों ने शुद्ध जल के कलशों से भगवान आदिनाथ को जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा प्रमोद जैन एडवोकेट ने शांतिधारा की। मुनि को शास्त्रभेंट समजा जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन प्रमोद जैन परिवार ने किया।
भक्ताम्बर विधान में नृत्य कर भगवान आदिनाथ को चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में प्रमोद जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर संगीतमय भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष समर्पित किए।