श्रृद्धाभाव से किया भक्ताम्बर स्तोत्र सुख-शांति प्रदान करता है : विनय सागर

जगत कल्याण की कामना को लेकर 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में मंत्रों की गूंज
श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा के साथ सगीतमय पूजन में लोग ले रहे भाग

भिण्ड, 19 जुलाई। जब भी देश, संतों, समाज व परिवार के ऊपर कोई संकट आता है तो ऐसी स्थिति में शांत स्वभाव से भक्ताम्बर विधान ही एकमात्र उपाय होता है। श्रृद्धा भाव से किया गया भक्ताम्बर स्तोत्र सुख-शांति प्रदान करता है। जीवन की जटिलताओं को सहज बनाता है, पापों से मुक्त कराकर पुण्य मार्ग की ओर अग्रसर करता है। यदि किसी के जीवन में कोई संकट है तो भक्ताम्बर स्तोत्र चमत्कार दे सकता है। यह बात श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षयोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार भिण्ड के तत्वावधान में बुधवार महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि जीवन में नेक कार्य करने व पुण्य मार्ग पर चलने वाला कभी दुखी नहीं होता। जीनव में कभी भी धर्म का मार्ग नहीं छोडना, जिसने धर्म का मार्ग छोड उसका जीवन हमेशा दुखी रहेगा। धर्म ही जीवन का आधार है। उन्होंने कहा कि कर्मों का न्यायालय ऐसा होता है जहां सबके लिए सामान्य न्याय होता है। कर्म ही मनुष्य को हंसाते और रुलाते हैं। व्यक्ति के किए गए कर्मों के अनुरूप ही प्रतिफल मिलता है।
भगवान आदिनाथ को नमन कर किया अभिषेक, बृहद शांतिधारा कराई
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में पीले वस्त्रों में इन्द्रों ने कलशों से भगवान आदिनाथ का अभिषेक जयकारों के साथ किए। मुनिी ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा राहुल जैन ने शांतिधारा की। मुनि को महिलाओं सामूहिक रूप से शास्त्र भेंट किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर व पुलक सागर के चित्र आवरण एवं दीप प्रज्वलन शिला राहुल जैन परिवार द्वारा किया।
विधान में अनुष्ठान के साथ चढ़ाए भगवान आदिनाथ को महाअघ्र्य
मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में शीला राहुल जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियो ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा-अर्चना कर संगीतमय भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष समर्पित किए।