गुरू पूर्णिमा पर आज दंदरौआ धाम पहुंचेंगे हजारों श्रृद्धालु

महामण्डलेश्वर महंत रामदास महाराज ने दी कार्यक्रम की जानकारी

भिण्ड, 01 जुलाई। गुरू पूर्णिमा का पर्व गुरू और शिष्य दोनों के लिए ही महत्व रखता है, जिससे शिष्य को पूरे वर्ष की उर्जा प्राप्त होती है। यह बात दंदरौआ धाम के महंत 1008 महामण्डलेश्वर रामदास महाराज ने धाम में गुरू पूर्णिमा को आयोजित होने वाले विशाल कार्यक्रम की तैयारियों के संबंध में चर्चा करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि गुरू पूर्णिमा तीन जुलाई सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस अवसर पर दंदरौआ धाम में हजारों की संख्या में श्रृद्धालु डॉक्टर हनुमान के दर्शन करेंगे। इस मौके पर रुद्राभिषेक, फूल बंगला के आयोजन के अलावा श्रृद्धालुओं के लिए भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। भजन कीर्तन का आयोजन सुबह से आरंभ होकर शाम तक चलेगा। उन्होंने बताया कि गुरू पूर्णिमा पर मन्दिर में फूल बंगला सजेगा और पूरे परिसर को फूलों से सजाया जाएगा। गुरू पूर्णिमा महोत्सव की तैयारियों को स्थानीय भक्तों और सेवादारों ने लगभग पूरा कर लिया है। सोमवार को गुरू पूर्णिमा को डॉक्टर हनुमान जी का सर्वप्रथम रुद्राभिषेक किया जाएगा। फिर विशेष पूजन के साथ हवन किया जाएगा और फिर सुंदर काण्ड का पाठ होगा। तत्पश्चात विशाल भएडारे का आयोजन किया जाएगा। गुरू पूर्णिमा महोत्सव मनाने देश के कई जिलों से लगभग एक लाख से अधिक श्रृद्धालु दंदरौआ धाम पहुंचेंगे। जिनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिले से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा और निजी वाहनों से आने वाले श्रृद्धालुओं के वाहनों के लिए मन्दिर के पीछे तथा चिरोल मार्ग पर स्थित मैदान में वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
महंत रामदास महाराज ने गुरू पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि पुराणों में कहा गया है कि वैसे तो शिष्य नित्य ही गुरू का ध्यान करते हैं, लेकिन गुरू पूर्णिमा का महत्व अलग ही होता है। ध्यान का मूल गुरू को माना गया है, पूजा का मूल भी गुरू को माना जाता है। मंत्र उच्चारण जब करते है तब भी गुरू का ध्यान करते हैं, इसलिए मनुष्य को मोक्ष प्राप्त करने के लिए गुरू की आवश्यकता है। गुरू पूर्णिमा का पर्व वर्ष में एक बार आता है इसलिए शिष्य को तन-मन-धन से गुरू की सेवा करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता-पिता और गुरू का हमारे जीवन में सर्वोच्च स्थान होता है। अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा महोत्सव बडे ही श्रृद्धाभाव से हम मानते है। क्योंकि हिन्दू धर्म के प्रथम विद्वान और आदि गुरू महर्षि वेद व्यास का जन्म अषाढ़ पूर्णिमा को ही हुआ था, उन्हीं के सम्मान में अषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। गुरू पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरू के साक्षात दर्शन अवश्य करने चाहिए। गुरू दर्शन से हमें एक साल के लिए ऊर्जा प्राप्ति होती है।