बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कारावास

सागर, 24 जून। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी मोहम्मद अनवर खान को दोषी करार देते हुए धारा 377 भादंवि के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 363 (काउण्ट-2) के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-5(एम), सहपठित धारा 6 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेखित किया है कि किसी भी देश की उन्नति का मार्ग उस देश के बच्चों की सुरक्षा से ही प्रशस्त होता है, क्योंकि बालकों के प्रति हुए अपराध का प्रभाव न केवल उस बालक पर बल्कि संपूर्ण समाज पर पड़ता है। न्यायालय ने बालक को उसके भविष्यगामी परिणाम स्वरूप पडऩे वाले प्रभावों को देखते हुए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया है।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (बालक के चाचा) ने तीन अक्टूबर 2020 को थाना केंटोन्मेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उक्त दिनाक को उसका भतीजा घर के बाहर खेल रहा था। वह और उसकी पत्नी काम करने चले गए थे, तभी बालक को अभियुक्त अनवर द्वारा उसके ऑटो से पकडक़र ले जाने पर उसके पड़ोसियों ने पीछा कर पकडऩे पर अभियुक्त अनवर के भाग जाने एवं उनके द्वारा बालक को लेकर आने की सूचना मिलने पर फरियादी तथा उसकी पत्नी काम छोडक़र आए। बालक से पूछने पर उसने बताया कि एक ऑटो वाला अभियुक्त अनवर उसे जबरजस्ती ऑटो में बिठाकर ले गया और गंदी हरकत करने लगा, इतने में उसके पड़ोसी पीछे से आ गए जो उसे साथ ले आए। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना केंटोन्मेंट पुलिस ने धारा 363 भादंसं एवं धारा-7/8, 11/12 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं 3(2)(व्ही-ए) एससी/एसटी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। न्यायालय में पीडि़त बालक ने बताया कि अभियुक्त द्वारा उसके साथ बुरा काम किया गया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।