हिन्दवी स्वराज स्थापना की वर्षगांठ पर निकला भव्य चल समारोह
भिण्ड, 02 जून। हिन्दवी स्वराज स्थापना की 350वीं वर्षगांठ पर भिण्ड नगर में विशाल कार्यक्रम हिन्दवी स्वराज्य आयोजन समिति के तत्वावधान में किया गया। जिसका शुभारंभ बद्रीप्रसाद की बगिया महावीर चौक से एक विशाल चल समारोह के रूप में हुआ। चल समारोह में घोड़े पर सवार शिवाजी एवं उनके अंग रक्षक लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे। एक बग्घी पर शिवाजी का विशाल चित्र यात्रा की शोभा बढ़ा रहा था। समारोह में हजारों की संख्या में हिन्दू समाज ने भाग लिया। चल समारोह का समापन खण्डा रोड पर एक सभा में हुआ। सभा में 350वां हिन्दवी स्वराज स्थापना समारोह समिति के जिला अध्यक्ष डॉ. सुरेश बंसल, नगर संयोजक उपेन्द्र भदौरिया एवं ग्वालियर से पधारे मुख्य वक्ता ब्रजकिशोर भार्गव मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन समिति के जिला सचिव कुलदीप भदौरिया एवं अतिथि परिचय नगर सहसंयोजक अजय दीक्षित ने कराया।
मुख्य वक्ता ब्रजकिशोर भार्गव ने कहा कि शिवाजी से पूर्व भी अनेक यशस्वी राजाओं का शासन देश में रहा, लेकिन हम उनके राज्यारोहण का समारोह नहीं मनाते। देश के अनेक बड़े राजा तो मुगल शासन के अधीनस्थ होकर भी शासन करते थे, लेकिन हम आज भी रामराज्य की कल्पना करते हैं। वास्तव में शिवाजी का हिन्दवी स्वराज भी उसी रामराज्य के रूप में था। एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर युवाओं की सेना संगठित कर धीरे-धीरे 300 किलों को उन्होंने जीता। समाज के कहने पर ही उनका राज्यारोहण ठीक उसी प्रकार हुआ जैसे भगवान राम का या धर्मराज युधिष्ठिर का हुआ था। यह समारोह चार दिन चला एवं देशभर के अनेक राजा एवं मुगल शासक भी समारोह में सम्मिलित हुए। उन्होंने अपने राज्य में नई कृषि नीति लागू की। देश में पहली नौसेना की स्थापना भी शिवाजी ने की। उन्होंने विदशों से तोप एवं गोले भी मंगवाए, लेकिन सिर्फ एक बार। साथ ही तोप और गोला निर्माण की तकनीकी भी मंगवाई और देश में तोप निर्माण के दो कारखाने भी स्थापित किए। उन्होंने समाज को जजिया कर से मुक्ति दिलवाई एवं अनेक मन्दिरों निर्माण एवं पुनर्निर्माण कराया। उन्होंने ऐसे सैनिकों को खड़ा किया जो देश के लिए सर्वस्व समर्पण के लिए तैयार थे।
भार्गव ने तानाजी एवं बाजीराव का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने शिवाजी के कहने पर देश की सुरक्षा के लिऐ अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने स्वयं के जीवन में भी ऐसे अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए। जब शिवाजी की एक पत्नी का देहांत हुआ तब मुगलशासन कमजोर पडऩे लगा था, उन्होंने पत्नी के अंतिम संस्कार में जाते हुए युद्ध में जाने का मार्ग चुना। उन्होंने ऐसी शासन व्यवस्था तैयार की कि छह माह तक औरंगजेब की जेल में रहते हुए भी उनका शासन सुचारू रूप से संचालित था। बल्कि उनके जीते हुए किलों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। उनकी सेना में मुस्लिम सैनिक भी थे। औरंगजेब की जेल से निकलने में एक मुस्लिम सैनिक ने मदद की, जो बाद में वीर गति को प्राप्त हुआ।
भार्गव ने कहा कि यह आयोजन पूरे देश में वर्षभर चलने वाले हैं। जिसके लिए देश, प्रांत, जिला, नगर एवं ग्राम स्तर तक समाज के सभी वर्ग एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को लेकर समितियों का गठन किया गया है। हम सभी वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों सम्मलित होकर उनके विचारों को समझें। कार्यक्रम के अंत में आभार नगर संयोजक उपेन्द्र भदौरिया ने व्यक्त किया।