सागर, 01 जून। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी सौतेले पिता को दोषी करार देते हुए धारा 376(3) भादंवि में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(2)(के) में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 506 (भाग-2) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपये अर्थदण्ड, धारा 5(एल), सहपठित धारा 6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 5(एन), सहपठित धारा 6 पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता बालिका ने 29 जनवरी 2022 को थाना मोतीनगर में रिपोर्ट लेख कराई कि उसके घर में उसकी दादी, मां, सौतेला पिता (अभियुक्त), छोटी बहन व भाई रहते हैं। करीब छह दिन पहले 22 जनवरी को रात करीब 9.30 बजे उसकी मां और दादी काम पर गए थे तथा वह, उसके भाई-बहन एवं उसका सौतेला पिता घर पर थे। वह सो रही थी तो उसका सौतेला पिता उसे उठाकर उसके साथ जबरदस्ती करने लगा। बालिका के मना करने पर अभियुक्त ने उसे जान से मारने की धमकी देकर जबरदस्ती उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके पहले भी करीब 10-12 बार अभियुक्त ने जबरदस्ती बालिका के साथ दुष्कर्म किया है, लेकिन डर के कारण उसने यह बात घर में किसी को नहीं बताई। फिर जब बालिका की मां काम से वापस आई तो उसने पूरी घटना उसकी मां और दादी को बताई। अभियुक्त ने बालिका की मां को उसके खिलाफ रिपोर्ट करने पर जान से मारने की धमकी दी थी, इसलिए वे रिपोर्ट करने नहीं आए। फिर 29 जनवरी 2022 को बालिका ने मां, उसके मौसाजी एवं पड़ोसी के साथ थाना में लिखित आवेदन पेश किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना मोतीनगर पुलिस ने धारा 376(3), 376(2)(एन), 506 भादंसं एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।