सकल जैन समाज एवं स्थाानीय लोगों ने की मुनिराजों की आगवानी
भिण्ड, 14 मई। गणाचार्य विराग सागर महाराज के शिष्य मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज एवं मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज ससंघ ग्वालियर से विहार करते हुए अतिशय क्षेत्र बरासों जैन मन्दिर में मंगल प्रवेश हुआ। सकल जैन के साथ स्थानीय जैन समाज एवं स्थानीय लोगों ने मुनिराजों के पाद प्रक्षालन एवं आरती कर आगवानी की।
जानकारी देते हुए मनोज जैन ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी की समोशरण स्थली बरासों में भगवान महावीर स्वामी का तीन बार समोशरण आया था। ऐसे अतिशय क्षेत्र पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज का तेरह माह बाद मंगल प्रवेश हुआ। इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने कहा कि इस क्षेत्र पर मैंने पहली बार पांच वर्ष पूर्व चातुर्मास किया था, उस समय यहां के लोग इस मंदिर से जुड़ गए थे। इस क्षेत्र पर जो भी व्यक्ति श्रद्धा भाव के साथ दर्शन के लिए आता है उसके कार्य स्वत: ही पूर्ण होने लगते हैं। मेरा इस क्षेत्र से न जाने कैसा नाता है कि ऐसा लगता है कि समोशरण के समय मैं यहां पर रहा हूंगा।
उन्होंने कहा कि मैं इस जिले में क्षुल्लक अवस्था में उस समय आया था जब मेरे शरीर पर शीत उभर आया था, जिसमें मैंने न जाने कितने वैद्य हकीमों को दिखाया लेकिन आराम नहीं मिला तब एक दिन स्वप्न आया कि बरासों अतिशय क्षेत्र पर भगवान के दर्शन के लिए जाओ तो तुम्हें आराम मिल जाएगा। उसके बाद मैं जैसे ही भगवान महावीर स्वामी की समोशरण स्थली पर आया और भगवान के चरणों में बैठकर भक्ति भाव के साथ वंदना कर उपवास किया तो दूसरे दिन वह शीत न जाने कहां चला गया और मुझे आराम मिल गया। तभी से इस क्षेत्र के प्रति बढ़ी श्रृद्धा है और लोगों को भी इस क्षेत्र के बारे में बताकर कई लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हुई हैं। इसलिए आज से तीन दिवसीय मनोकामना पूर्ण महार्चना विधान 16 मई तक आयोजित होगी। जिसमें आज भक्ताम्बर विधान में 48 अघ्र्य चढ़ाए गए। जिसमें सुबह भगवान का महामस्तकाभिषेक तत्पश्चात भक्ताम्बर विधान का आयोजन भक्ति पूर्वक किया गया। इस अवसर पर ग्वालियर, डबरा, मुरैना, शिवपुरी, मालनपुर, गोहद, रायरू, मेहगांव, भिण्ड, इटावा, जसवंत नगर, सिरसागंज, करहल आदि स्थानों से आए श्रृद्धालुओं ने भगवान के चरणों में श्रीफल चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
महाअर्चना विधान में बैठेंगे श्रृद्धालु
मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज एवं विश्वसाम्य सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में 15 मई को सुबह सात बजे टीले वाले बाबा का महामस्तकाभिषेक, शांतिधारा के पश्चात मनोकामना पूर्ण महार्चना विधान का आयोजन सुबह नौ बजे से किया जाएगा। जिसमें श्रृद्धालु अपने-अपने घरों से तीन नारियल एवं एक दीपक अपने साथ लाकर भगवान को अर्पित कर अघ्र्य चढ़ाते हुए विधान करेंगे।
विहसंत सागर महाराज का केशलोच आज
विहसंत सागर महाराज का केशलोच अतिशय क्षेत्र बरासों मन्दिर में सोमवार को सुबह होगा। जिसमें मुनिराज कहते हैं कि प्रत्येक मुनिजन चार माह में एक बार अपने हाथों से केशों को उखाड़ते हैं। जिसमें अपार पीड़ा को सहन करते हुए उस दिन उपवास भी करते हैं। यह परंपरा मात्र जैन दर्शन में ही होती है क्योंकि दीक्षा लेने के पश्चात केवल पिच्छी कमण्डल के अलावा अपने हाथों में कोई भी वस्तु अपने पास नहीं रखते हैं एवं एक समय भोजन पानी आहार को ग्रहण करना, सोते समय लकड़ी के पाटे पर लेटना ऐसी कई क्रियाएं हैं जिसे मुनिजन बड़ी निष्ठा के साथ करते हैं।