विश्व होम्योपैथी दिवस पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित
भिण्ड, 10 अप्रैल। होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति, जो बीमारी नहीं, बीमारी के कारण को खत्म करती है। यह बात शहर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. आरबीएस चौहान ने विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर शहर के वार्ड क्र.आठ बरुआ नगर में आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर के शुभारंभ के अवसर पर कही।
उन्होंने बताया कि होम्योपैथिक दवाएं प्रभावी व रुचिकर हैं तथा इनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है और इनका आसानी से सेवन किया जा सकता है। कुछ मामलों में बोझिल और महंगे नैदानिक उपचार विधियों पर निर्भर रहे बिना रोगियों के लक्षणों के आधार पर दवाओं को निर्धारित किया जाता है। होम्योपैथी, मनोदैहिक विकारों, स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों, बुढ़ापे और बाल चिकित्सा विकारों, गर्भावस्था के दौरान होने वाली बीमारियों, दु:साध्य त्वचा रोगों, जीवन शैली से संबंधित विकारों और एलर्जी आदि के उपचार में उपयोगी रही है। होम्योपैथी पुराने मियादी रोग वाले मरीजों गठिया आदि जैसी विकलांग बनाने वाली बीमारियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में एक सकारात्मक भूमिका भी है। इसकी लोकप्रियता दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मोहनदास तिवारी ने बताया कि होम्योपैथी की खोज एक जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन (1755-1843) द्वारा 18वीं सदी के अंत के दशकों में की गई थी। यह ‘सम: समम् शमयति’ या ‘समरूपता’ दवा सिद्धांत पर आधारित एक चिकित्सीय प्रणाली है। यह दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है, जिससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है। इस पद्धति में रोगियों का उपचार न केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझ कर उपचार किया जाता है। ‘समरूपता’ के सिद्धांत की इस अवधारणा को हिप्पोक्रेट्स और पेरासेलसस द्वारा भी प्रतिपादित किया गया था, लेकिन डॉ. हनिमैन ने इस तथ्य के बावजूद कि वह एक ऐसे युग में रहते थे, जहां आधुनिक प्रयोगशाला के तरीके लगभग अज्ञात थे, इसे वैज्ञानिक स्तर पर सिद्ध किया।
इस स्वास्थ्य शिविर में जोड़ों के दर्द, कमर दर्द, चर्म रोग, साइटिका, सामान्य बुखार व मौसमी व पेट संबंधी रोगों के लगभग एक सैकड़ा मरीजों का परीक्षण कर नि:शुल्क दवाओं का वितरण किया गया। कार्यक्रम के अंत में शिविर के आयोजक डॉ. साकार तिवारी ने अतिथियों को शाल व श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया व प्रतिवर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर इस आयोजन को बेहतर स्वरूप देने का संकल्प लिया। इस अवसर पर प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नीरज पांडेय व होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. वरुण शर्मा, डॉ. बृजभान सिंह, डॉ. नरेन्द्र करोसिया, डॉ. बृजबाला अहिरवार, गगन शर्मा, लालजी शर्मा, राहुल यादव, ऊषा नगरिया, प्रदीप बाजपेयी, कैलाश नगरिया, रीतेश भदौरिया सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।