आलमपुर में मनी होम्योपैथी चिकित्सा के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती

भिण्ड, 10 अप्रैल। आलमपुर नगर में सेवानिवृत होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. सियाशरण रजक के निवास पर सोमवार को होम्योपैथी चिकित्सा के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में शा. महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष कल्याण सिंह कौरव, सुरेश चन्द्र तिवारी, डॉ. एसएस रजक, डॉ. संतोष गोस्वामी, डॉ. बीडी आर्य, डॉ. आनंद गोस्वामी, कलीम खान, पुष्पेन्द्र सिंह भदौरिया, सुदामा कौरव, मोनू सविता, सोनू गुप्ता इत्यादि ने डॉ. हैनीमैन के चित्र पर तिलक कर माल्यार्पण किया।
इसके पश्चात डॉ. सियाशरण रजक ने होम्योपैथिक जगत में अभूतपूर्व योगदान देने वाले डॉ. हैनीमैन को स्मरण करते हुए कहा कि होम्योपैथी के जन्मदाता डॉ. हैनीमन जर्मनी के कीर्ति प्राप्त उच्च एलोपैथिक चिकित्सक थे। डॉ. हैनीमन का जन्म 10 अप्रैल सन 1755 ई. को जर्मन साम्राज्य के सेकसनी प्रदेश के माइसेन नामक छोटे से गांव में हुआ था। इनके द्वारा होम्योपैथी की अनेक दवाओं की खोज की गई है। जिनके सेवन से अनेक लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव है। होम्योपैथी दवा मरीजों के लिए संजीवनी के समान है। इससे मरीजों को नुकसान नहीं पहुंचता। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी के योगदान के बारे में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 10 अप्रैल को डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती को ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है और इस दौरान लोगों को होम्योपैथी के लाभ के बारे में जाग्रत करने के उद्देश्य से विभिन्न सेमिनार, कार्यशालाएं और जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। होम्योपैथी ने चिकित्सा के वैकल्पिक रूप में वर्षों से लोकप्रियता हासिल की है और इसकी प्रभावशीलता कई अध्ययनों से साबित हुई है। डॉ. रजक ने कहा कि कोरोनाकाल में भी लोगों ने अपनी शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए होम्योपैथी दवाओं का उपयोग किया है, जिसका लोगों को लाभ मिला है।