प्रिय रामचरितमानस जरूर पढऩा


अशोक सोनी ‘निडर’


श्रीराम नवमी के पावन पर्व पर श्री रामजी, सीताजी एवं हनुमान लला के चरणों में समर्पित दो काव्य प्रसून

जीवन के अनुबंधों की,
तिलांजलि संबंधों की,
टूटे मन के तारो की,
फिर से नई कड़ी गढऩा,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

बेटी का धर्म निभाने को,
पत्नी का मर्म सिखाने को,
भाई का प्रेम बताने को,
हर चौपाई दोहा सुनना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

लक्ष्मण से सेवा त्याग सीख,
श्री भरत से राज विराग सीख,
प्रभु का सबसे अनुराग सीख,
फिर माता सीता को गुनना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

केवट की भक्ति भरी गगरी
फल मीठे बेर लिए शबरी,
है धन्य अयोध्या की नगरी,
अवसादों में जब घिरना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

न्याय नीति पर राम अड़े,
संग सखा वीर हनुमान खड़े,
पशु-पक्षी तक हैं युद्ध लड़े,
धन्य हुआ उनका तरना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

जो राम नाम रघुराई है,
जीवन की मूल दवाई है,
हर महामंत्र चौपाई है,
सियाराम नाम जपते रहना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

जगती में मूल तत्व क्या है?
राम का नाम महत्व क्या है?
संघर्ष में राम रामत्व क्या है?
संकट में जब तुम फंसना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

हर समाधान मिल जाता है,
कोई प्रश्न ठहर न पाता है,
बस राम ही राम सुहाता है
श्री राम है वाणी का गहना,
प्रिय रामचरितमानस पढऩा।।

श्री राम चरित मानस

श्री- श्री राम चरित मानस भव सागर की नैया है।
रा- राम राम ही भंवर है और राम ही खिवैया है।।
म- मन के पाप धोकर ये पावन बनाती है।
च- चरित्र हर रूप का ये दर्शन कराती है।।
रि- ऋषि और मुनि भी गुणगान इसके गाते हैं।
त- तन और मन को श्री राम में लगाते हैं।।
मा- मानव के जीवन की अनमोल ये थाती है।
न- नर से नारायण बनने की राह ये दिखाती है।।
स- सरणागत के पालक हैं दीनों के नाथ हैं।
श्री- श्रीराम, लखन, सीता, हनुमान जी के साथ हैं।।
कहता अशोक सबके चरणों में झुकाकर ये माथा है,
श्री रामचरित मानस से जन जन का नाता है।