चिकित्सकों के उत्पीडऩ का असहनीय प्रयास राजस्थान सरकार का राइट टू हेल्थ बिल : डॉ. गुलाब सिंह

भिण्ड, 27 मार्च। चिकित्सकों और निजी अस्पताल आज सरकार द्वारा लागू कई कानूनों का पालन करते हुए अपना कार्य कर रहे हैं। उसके बाद भी जब भी चिकित्सकों का उत्पीडऩ होता है तो कोई भी चिकित्सकों का बचाव नहीं करता और उसको ही दोषी ठहराने का प्रयास किया जाता है। ऐसी विषम परिस्तिथियों में भी राजस्थान सरकार ने चिकित्सकों व निजी अस्पतालों को बंद करने के लिए राइट टू हेल्थ बिल सदन मे पास किया है, जो की घोर अलोकतांत्रिक, दमनकारी है। इससे चिकित्सकों के साथ आम जनता का भी बहुत नुक्सान होगा। यह बात आईएमए भिण्ड के अध्यक्ष डॉ. गुलाब सिंह ने कही। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय नेतृत्व के अव्हान पर पूरे देश में राजस्थान सरकार द्वारा पारित दमनकारी बिल के विरोध मे चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया। उसी तारताम्य मे डॉ. सिंह भिण्ड के चिकित्सकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा पूर्व से ही कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट व अन्य कानून लागू हैं, ऐसी में चिकित्सकों की कमर भी तोडऩे का प्रयास किया जा रहा है, जो कि सर्वथा अनुचित है। देश के सभी चिकित्सकों इस काले कानून को रद्द करने की मांग राजस्थान सरकार से करते है।
आईएमए के सचिव डॉ. हिमांशु बंसल ने बताया कि अभी राष्ट्रीय नेतृत्व ने संपूर्ण देश में आज विरोध दर्ज करवाया है और जरूरत पड़ी तो हड़ताल पर भी चिकित्सक और अस्पताल जा सकते हैं। वर्तमान में भी प्रचलित कानून के अनुसार प्रत्येक मरीज को प्राथमिक उपचार उपलब्ध करना प्रत्येक चिकित्सक व अस्पताल के लिए आवश्यक है, फिर जरूरत के अनुसार मरीज रेफेर किया जा सकता है। अब राजस्थान सरकार इसमें जुर्माने और सजा का प्रावधान भी जोड रही है, जिसके चलते मरीज और चिकित्सक के संबंधों में दरार पड़ेगी और नुक्सान आम जनता को उठाना पड़ेगा। इसलिए जनहित में मुख्यमंत्री गहलोत को बिल वापिस लेना चाहिए। विरोध प्रदर्शन में डॉ. अनिल गोयल, डॉ. रविन्द्र चौधरी, डॉ. विनोद वाजपेयी, डॉ. आरके मिश्रा, डॉ. जेएस यादव, डॉ. प्रतीक मिश्रा, डॉ. सतीश शर्मा, डॉ. देवेश शर्मा, डॉ. विनीत गुप्ता व अन्य चिकित्सक भी शामिल थे।