प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों में जागरुकता की जरूरत

कृषि विज्ञान केन्द्र पर किसान दिवस का हुआ आयोजन

भिण्ड, 24 दिसम्बर। कृषि विज्ञान केन्द्र पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से प्राप्त निर्देशों के क्रम में राष्ट्रीय किसान दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भिण्ड जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरुकता लाने के लिए वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
किसान दिवस के अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एसपी सिंह ने किसान दिवस की महत्ता के बारे में अवगत कराया कि हर वर्ष पूरे देश में 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसान नेता चौ. चरण सिंह के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस का आयोजन किया जाता है। चौ. चरण सिंह हमेशा किसानों की फसलों पर आने वाली लागत कम करने तथा किसानों के उत्पादों का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। इसी क्रम में आज समय की मांग है कि किसानों की फसलों की लागत कम हो और खेती लाभ का धंधा बने, इसके लिए किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा जिससे जहरीले रसायनों से कृषि उत्पादों को बचाया जा सके।
इस अवसर पर केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अवधेश सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं पड़ती। मात्र एक गाय के सहारे 30 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती कर लाभ कमाया जा सकता है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रूपेन्द्र सिंह ने किसानों को समय से कृषि तकनीकी का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए किसान सारथी से जुडऩे की सलाह दी। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. करणवीर सिंह ने कृषक बंधुओं को उद्यानिकी फसलों में अपना योगदान देने के लिए जोर दिया, जिससे कि उनको आर्थिक लाभ मिल सके। वैज्ञानिक डॉ. एनएस भदौरिया ने प्राकृतिक खेती अपनाकर शुद्ध बीज उत्पादन की तकनीकी की जानकारी एवं फसलों में दीमक की रोकथाम की प्राकृतिक विधि के बारे में बताया। साथ ही डॉ. बीपीएस रघुवंशी ने प्राकृतिक खेती को बनाने वाले विभिन्न घटकों के बारे में कृषकों को अवगत कराया। कार्यक्रम में स्टेनोग्राफर निशांत प्रभाकर, एसआरएफ दीपेन्द्र शर्मा एवं कार्यालय अधीक्षक प्रशांत पाण्डे का सहयोग रहा, साथ ही जिले के विभिन्न गांव के दर्जनों किसानों ने भाग लिया।