मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
भिण्ड, 22 दिसम्बर। एक तरफ मप्र भाजपा सरकार पंच से लेकर सरपंच, जिला पंचायत अध्यक्ष, पार्षद से लेकर महापौर तक के मानदेय में दो गुणा वृद्धि कर दी है, तो वहीं दूसरी ओर शासकीय प्राथमिक स्कूलों में भोजन बनाने वाली कार्यकर्ताओं को मात्र दो हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं, जो मनरेगा मजदूर की मजदूरी प्रतिदिन 229 रुपए है, उससे बहुत कम है। जो मानदेय मिलता है वह भी दो से चार महीने बाद प्राप्त होता है। सुरसा की तरह बढ़ती महंगाई में स्वयं का भरण पोषण करना भी कठिन हो जाता है। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की जिला महासचिव शोभा माहौर एवं सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन सीटू के जिला उपाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह सेंगर ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन उप जिलाधीश पराग जैन को ज्ञापन सौंपा।
सीटू जिला महासचिव अनिल दौनेरिया ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि शासकीय प्राथमिक स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चों को खाना बनाकर खिलाने वाली मिड डे मील कार्यकर्ताओं का न तो कोई हाजिरी रजिस्टर है और ना ही उन्हें अवकाश की सुविधा मिलती है। महिला मातृत्व का अवकाश भी इन्हें नहीं दिया जाता है, मानदेय इतना कम है कि दो लोगों का परिवार भी सुबह शाम के भोजन के लिए तरसता रहता है या पराधीन रहता है।
ज्ञापन देने वालों में प्रकाशवती, विमला नामदेव, रामाबाई बघेल, शशि, शीला जाटव, रामकली बघेल, इन्दिरा बाई माहौर, राजकुमारी परिहार, गायत्री, रामश्री भदौरिया, विमला सेन उपस्थित रहे। नेताओं ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि एक तरफ हम स्कूलों में खाना बनाते हैं तो शासन की नजरों में रोजगारशुदा हैं, लेकिन वह मेहनताना न्यूनतम 11 हजार रुपए प्रति माह किया जाए या फिर बीपीएल कार्ड बनाकर उसकी सुविधाएं प्रदान की जाएं। तमाम मिड डे मील कार्यकर्ताओं पर स्वयं का आवास नहीं हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी इन्हें दिलाया जाए।