आत्महत्या दुष्प्रेरण के मामले में आरोपी को पांच वर्ष का कारावास

सागर, 03 नवम्बर। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सागर श्री शिव बालक साहू के न्यायालय ने पारित निर्णय में आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने वाले आरोपी रामेश्वर उर्फ रामू पुत्र दीपक पटैल निवासी ग्राम ढाना, थाना सुरखी, जिला सागर को धारा 306 भादंवि में दोषसिद्ध पाते हुए पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सागर सौरभ डिम्हा ने की।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि 19 सितंबर 2020 को फरियादी ने थाना सुरखी में इस आशय की देहाती नालशी लेख कराई कि 11 मई 2018 को मृतिका एवं आरोपी रामेश्वर का विवाह हुआ था। मृतिका के सास, ससुर एवं पति रामेश्वर उर्फ रामू पटैल उसे दहेज के लिए लगातार प्रताडि़त करते रहते थे। 17 सितंबर 2020 को दोपहर दो बजे मृतिका अपने घर पर किचिन में काम कर रही थी, तभी उसका पति किचिन में आया और बोला कि मायके से दहेज और पैसा क्यों नहीं मांगती हो, तब पति चिल्लाते हुए उसे कमरे में ले गया तथा उसके ऊपर मिट्टी का तेल डालकर माचिस से आग लगा दी। वह चिल्लाई तो उसके दादा ससुर व देवर आ गए, जो उसे प्राइवेट वाहन से अस्पताल ले गए। जिसके आधार आरोपीगण के विरुद्ध थाना सुरखी में अपराध अंतर्गत धारा 498ए, 307, 34 भादंवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। संपूर्ण अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। विचारण के दौरान न्यायालय के समक्ष अभियोजन ने महत्वपूर्ण तथ्य एवं साक्ष्य प्रस्तुत किए। प्रकरण में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रकरण के सभी महत्वपूर्ण साक्षी मृतिका के परिवार वाले अभियोजन साक्ष्य के दौरान पक्षद्रोही हो गए थे, चूंकि प्रकरण में मृत्युकालीन कथन में मृतिका ने बताया था कि उसके पति ने उसके लिए बहुत परेशान किया है, इस कारण उसने आग लगाई है। इस कारण न्यायालय ने उक्त समस्त परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह पाया कि आरोपी रामेश्वर से मृतिका रोज-रोज परेशान करने से ही प्रताडि़त होकर उसने आत्मदाह किया है। न्यायालय ने उक्त मामले को संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण न्यायालय द्वारा आरोपी को धारा 302 व 304(बी) भादंवि के आरोपों से दोषमुक्त किया गया। अभियोजन की दलीलों एवं साक्ष्यों से सहमत होकर न्यायालय ने आरोपी रामेश्वर उर्फ रामू पटैल को धारा 306 भादंवि में दोषसिद्ध पाते हुए पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।