– राकेश अचल
आज की अच्छी खबर ये है कि ईरान, इजराइल और अमेरिका के बीच पिछले 12 दिन से चल रहे लोमहर्षक अमानवीय, अनैतिक और अयाचित युद्ध पर विराम लग गया। गनीमत है कि इस युद्ध विराम की घोषणा चीन, रूस या विश्वगुरू भारत ने नहीं, बल्कि खुद हमलावर अमेरिका ने की है। ये मौका था कि भारत अमेरिका से पहले युद्ध विराम की घोषणा कर अमेरिका से अपने अपमान का बदला ले लेता। खैर!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान के बाद ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर लागू हो गया है। दोनों देशों के बीच बीते 12 दिनों से जंग चल रही थी, जिसके वजह से दोनों देशों को लगातार जान-माल का नुकसान हो रहा था। दोनों ही देश एक-दूसरे पर हवाई हमले कर रहे थे। दुनिया इस हिंसक, क्रूर लडाई को तीसरे विश्व युद्ध के आगाज के रूप में देख रही थी, लेकिन बला टल गई। अब अगले 24 घण्टे में युद्ध की औपचारिक तौर पर अंत हो जाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ ही दुनियाभर के देश युद्ध को समाप्त करने की अपील कर रहे थे ताकि मध्य पूर्व में शांति बहाल हो सके।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच सीजफायर का ऐलान किया। उन्होंने कहा, मिडिल ईस्ट में शांति बहाल का रास्ता साफ हो गया है। दोनों देश के बीच बीते 12 दिनों से जंग चल रही थी, लगातार हवाई हमले किए जा रहे थे। जिसकी वजह से स्थिति और तनावपूर्ण होते जा रहा था। इस दौरान दोनों ही पक्षों को जान-माल का नुकसान हुआ। हालांकि, अब दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से सीजफायर पर बात बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने बताया है कि अगले 24 घण्टे में औपचारिक तौर से युद्ध की समाप्ति हो जाएगी। मजे की बात देखिए कि जिस अमेरिका ने ईरान को नेस्तनाबूत करने की कसम खाई थी उसी अमेरिकी प्रशासन ने दोनों पक्षों को शांति के लिए प्रेरित किया।
आपको याद होगा कि ईरान ने कतर की राजधानी में स्थित अमेरिकी अल-उदीद बेस (सैन्य ठिकाना) पर सोमवार को मिसाइल हमले कर दागकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। जिसकी वजह से कतर को कुछ घण्टों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करना पडा था। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिकी बेस पर हमले के बाद कहा कि ईरान किसी के समक्ष झुकेगा नहीं। ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।
द्वापर में धरती का सबसे विनाशकारी युद्ध महाभारत 18 दिन चला था, लेकिन खाडी का ये युद्ध 12 दिन में ही ठिठक गया। एक जमाने में खाडी युद्ध 8 साल तक चला था। लेकिन तब के और अब के हालात में बहुत अंतर आ गया है। इस युद्धविराम के बाद अब रूस और यूक्रेन को भी जनहित में युद्ध रोक देना चाहिए। ईरान, इजराइल, अमेरिका, रूस और यूक्रेन से बेहतर तो हम भारत वाले हैं जो हमने तीन दिन में युद विराम स्वीकार कर लिया। हम जानते हैं कि युद्ध लीला कोई रामलीला या रासलीला नहीं है, युद्ध हमेशा से विनाशकारी होता है।
ईरान-इजराइल युद्ध लंबा खिंच सकता था, लेकिन रूस और चीन के साथ ही ईरान के तेवर देख अमेरिका को युद्ध विराम की घोषणा करना पडी, अन्यथा इजराइल और अमेरिका का एजेंडा तो ईरान में तख्ता पलटने का था। खुदा का करम है कि ये एजेंडा पूरा नहीं हुआ। इसके लिए दुनिया के सभी पक्षों का शुक्रिया, उनका भी जिन्होंने ईरान का समर्थन किया, उनका भी जिन्होंने मौन धारण किया। भगवान करे कि अब युद्ध की चिंगारी दुनिया के किसी भी हिस्से में न भडके। इस विनाषक, भयावह, नृशंस युद्ध में बेमौत मारे गए ईरानियों, इजराइलियों और अमरीकियों को ऊपरवाला जन्नत फरमाए। जो जख्मी हुए हैं उन्हें सेहत दे। इस युद्ध से हुए नुकसान की भरपाई आसानी से नहीं होगी। एक लंबा अरसा लगेगा हालात मामूल पर आने में।
बधाई उन ईरानियों को जो अपनी संप्रभुता और स्वाभिमान के लिए लडे। बधाई उन इजराइलियों और अमरीकियों के अलावा दुनिया के उन तमाम लोगों और संगठनों को जो इस युद्ध के खिलाफ अपनी-अपनी जमीन पर लडे। जो तटस्थ रहे उनका हिसाब भी समय करगा ही।