ग्वालियर 25मई| प्रकृति और मनुष्य के बीच का रिश्ता सृष्टि के अनादिकाल से परिभाषित है। इस धरा पर 33 प्रतिशत वन होने चाहिए। वायुमंडल में पैसों का अनुपात भी संतुलित होना चाहिए। जल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात अन्य सत्यों के साथ भी परिभाषित है। ध्वनि की तीपता भी निधर्धारित सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। जब कभी इन रिश्तों में विकृति आती है तो मनुष्य का जीवन और उसकी दिनमर्मा प्रभावित होती है। इसके लिए वर्तमान में सध्य समाज की भोग विलास की जीवन शैली उत्तरदाई है। वर्तमान में प्लास्टिक का अंधाभूध उपयोग हो रहा है। इस दृष्टि से सारी दुनिया में 5 जून के पूर्व से ही पर्यावरण दिवसकी तैयारी और चिंत्तन तथा गतिविधियां शुरू हो जाती है। आज दूसरे दिवस सेवार्थ जन कल्याण समिति द्वारा संचालित सेवार्थ पाठशाला मोनी चाचा आश्रम पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
प्रतियोगिता का बिषय प्लास्टिक से उत्पन्न प्रदूषण और उसके उन्मूलन पर था। 120 बच्चों के बीच पांच समूह में यह प्रतियोगिता संपन्न हुई। सभी समूह से प्रथम, द्वितीय तृतीय स्थान पाने वाले बच्चों को शैक्षणिक सामग्री दैनिक उपयोग की वस्तुएं देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की मुख्यातिथि राजा मानसिंह तोमर संगीत कला विश्विद्यालय की कुलगुरु डॉक्टर स्मिता सहस्त्रबुद्धे, के एल शर्मा तथा शशि सिंह भी उपस्थित थी इस अवसर पर बोलते हुए कुलगुरु ने कहा कि हमें बाजार जाते समय तथा दैनिक उपभोग की अन्य वस्तुएं क्रय विक्रय करते समय प्लास्टिक से बचने का प्रयास करना चाहिए खानपान में भी प्लास्टिक से बचने की कोशिश करें अच्छी जीवनशैली हमें कैंसर से बचने के लिए कारगर उपाय रहेगी। कार्यक्रम को अध्यक्षता पाठशाला समूह के अध्यक्ष ओ. पी. दीक्षित ने की। सभी अतिथियों ने एक स्वर में बच्चों का आवाहन किया कि आने वाला भविष्य सुरक्षित रखना है तो हमें इन आदतों को अभी से विकसित करना होगा। मूल्यांकन के पश्चात पुरस्कार वितरण किया गया। इस अवसर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम उनके प्रमुख देवेंद्र जी जे पी नामदेव, राकेश श्रीवास्तव मौनी बाबा आश्रम के महत शिवानंद जी महाराज राजेंद दोतिया पूर्व पाषर्द, मनोज पांडे, इंदुलकर उपस्थित थे।