17 मिनिट में गुरुवाणी से संपन्न हुआ दहेज मुक्त विवाह

शिक्षित व सभ्य मानव समाज को दिया अनुपम संदेश

भिण्ड, 08 नवम्बर। भिण्ड कोरोना काल के इस दौर में एक तरफ कई ऐसे विवाह देखने को मिल रहे हैं जिनमें लाखों रुपए साज-सज्जा दिखाए पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हम बात कर रहे हैं एक ऐसे अनोखे दहेज मुक्त विवाह जो कि बिना साज-सज्जा पूर्णत: आडम्बर रहित रहा और एक खास बात यह रही कि इसमें न कोई घोड़ा और न कोई बैंड बाजा देखने को मिला। विवाह पूर्णत: सादगीपूर्ण था। दूल्हा-दुल्हन साधारण भेष-भूषा में दिखे। मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी से यह अनोखा विवाह (रमैनी) संपन्न हुआ।
भिण्ड जिले के मेहगांव के रहने वाले रामपाल जी महाराज के अनुयायी रामकिशोर जी ने अपनी पुत्री रिया का पूर्णता: दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) ग्वालियर के निवासी संत रामपालजी के अनुयायी विजय दासजी के पुत्र नवीन के साथ संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में संपन्न किया।

बिन फेरे हम तेरे

यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी पर आज सार्थक भी हो गई, संत जी के अनुयाइयों की उपस्थिति में व सभी देवी देवताओं और पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी की स्तुति कर ये विवाह (रमैनी) बगर कोई फेरे के संपन्न हुई। वर-वधु ने गुरुवचनों को साथी मानकर आजीवन एक-दूसरे का सुख-दु:ख में साथ देने का वचन लिया।

सभी देवी-देवताओं की व सर्वशक्तिमान परमेश्वर कविर्देव जी की स्तुति के साथ संपन्न हुआ विवाह (रमैनी)

रमैनी : यह 17 मिनट की असुर निकंदन रमैनी होती है, जिसमें फेरों के स्थान पर उसको बोला जाता है। विश्व के सर्व देवी-देव तथा पूर्ण परमात्मा कविर्देवजी का आह्वान तथा स्तुति प्रार्थना की जाती है, जिससे सर्वशक्तिमान परमेश्वर कविर्देव जो उस विवाह (रमैनी वाले जोड़े पति-पत्नी) की सदा रक्षा करते हैं। इससे बेटी तथा बेटे के जीवन में आने वाले दुखों का निवारण सुगमता से हो जाएगा तथा उन्हें कष्ट नहीं उठाना पड़ेगा। इस माध्यम से वर तथा वधू समाज में किसी भी प्रकार की बुराई नहीं करेंगे और समाज मे सुधार आएगा।

बेटियां अब नहीं लगेंगी बोझ

संत रामपाल जी महाराज अपने अनुयाइयों का विवाह (रमैणी) बहुत ही सादगी पूर्वक बिल्कुल साधारण तरीके से न कोई बैंड, न कोई बाजा, न कोई बारात, न कोई दिखावा, न ही कोई हल्दी व मेंहदी की रस्म, न कोई फालतू फिजूलखर्ची (हजारों रुपए तो लोग दिखावा के खर्च करते हैं), न ही कोई दहेज के कराते हैं। संत रामपाल जी के सानिध्य में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सपना होगा साकार। सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान। संत रामपाल जी का एक ही सपना दहेज मुक्त हो समाज अपना। संत रामपाल जी महाराज की अनूठी और अद्वितीय आध्यात्मिक विचारधारा।
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हजारों की संख्या में इस विवाह (रमैणी) को करके अपना सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने अंतर्जातीय विवाह को भी महत्व दिया है। वर्तमान में सरकार द्वारा भी अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैसे की हम लोग जानते है कि हमारे देश में जाति को लेकर भेदभाव भी बहुत होता है। इस भेदभाव को संत रामपाल जी महाराज जड़ से खत्म करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वह अपने सत्संग में बताते है कि जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।। इस आधार पर जात पात की इस खाई को जड़ से खत्म करके इस प्रकार एक स्वच्छ, पवित्र, सुंदर समाज के निर्माण में प्रयत्नशील संत रामपाल जी महाराज का धन्यवाद करें कि वो इस जनहित के कार्य को करने के लिए आगे आए हैं। विवाह सिर्फ संयोग है बांकी फिजूलखची करना सिर्फ दिखावा है। संत रामपाल जी महाराज अपने अनमोल सत्संगों में बताते हैं। आप से आवे रत्न बराबर मांगा आवै लोहा।। संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक ज्ञान से हमें पता चला है की दुल्हन ही सबसे बड़ा दहेज है। क्योंकि उस पिता ने अपने कलेजे की पुत्री को दे दिया और हमें क्या चाहिए।