– शिवलोक फूलबाग में शिवपुराण कथा का चौथा दिन
ग्वालियर, 17 मई। माता गंगा पतितों को पावन कर देती हैं, तो माता चंबल की भी अद्भुत महिमा हैं। चंबल में स्नान करने से गौदान का पुण्य मिलता है। इसका पानी इतना शुद्ध है कि मोती की तरह चमकता है। यह विचार पुराण मनीषी कौशिक महाराज ने फूलबाग शिवलोक में आयोजित हो रही शिव महापुराण की कथा के चौथे दिन शनिवार को व्यक्त किए। शुभारंभ अवसर पर कथा संयोजक विधायक डॉ. सतीश सिंह सिकरवार ने व्यासपीठ का पूजन किया। लाल टिपारा स्थित गौशाला के संत ऋषभदेवानंद महाराज इस मौके पर मंच पर विराजमान रहे।
कौशिक महाराज ने नदियों की महिमा का बखान करते हुए बताया कि ऐसे तीर्थों में जरूर जाएं, जहां नदियां बहती हैं। सरस्वती के किनारे वास करने से ब्रह्म पद की प्राप्ति होती है। गंगा नदी सौ मुख वाली है। इसके किनारे वास करने से पुरखों का तारण हो जाता है। नदियों को गंदा करने वाले लोग अगले जन्म में होते हैं गूंगे बहरे उन्होंने बताया कि नर्मदा के 24 मुख हैं। इसके किनारे वास करते हैं, श्रीगणेश उनकी रक्षा करते हैं। नर्मदा के जल से भगवान भोले का अभिषेक करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। कलयुग के अंत में सभी नदियां सूख जाएंगी,,लेकिन 45 करोड वर्ष पहले धरा पर सबसे पहले आईं नर्मदा मैया प्रलय होने पर भी नष्ट नहीं होंगी। गोदावरी के 21 मुख हैं, जिनके किनारे वास करने सेे रुद्रलोक प्राप्त होता है। 18 मुख की कृष्णावैणी के किनारे भगवान मल्लिकार्जुन विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि नदियां जीवनदायनी हैं, इन्हें गंदा न करेें,जो नदियों को गंदा करते हैं, वे अगले जन्म में गूंगे बहरे होते हैं। ऐसे तीर्थों में जरूर जाएं,जहां नदी हो…. उन्होंने बताया कि सतयुग में 12 साल तीर्थ करने से जो फल मिलता है वो कलयुग में सिर्फ 24 घण्टे तीर्थ में बिताने से मिल जाता है, इसलिए साल में एक बार तीर्थ दर्शन जरूर करना चाहिए और ऐसे तीर्थों में जरूर जाएं, जहां नदियां बह रहो हों।
उन्होंने कहा कि शिवमहापुराण की कथा का पुण्य वेद के अनुष्ठान के समान होता है, इसलिए जब भी जहां भी अवसर मिले, कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। नित्य पाठ करें, लेकिन यदि किसी दिन छूट जाएं तो अगले दिन डबल करने से प्रायचित्त हो जाता है। माह में एक बार उपवास जरूर करें। घर की जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद 10.30 महीने तीर्थ में बिताएं। युवा भी साल में कुछ दिन तीर्थाटन जरूर करें। भोजन के समय मौन व स्नान के वक्त करें संकीर्तन… उन्होंने बताया कि शयनकक्ष के समीप मलमूत्र विसर्जन नहीं करना चािहए। सूर्यास्त से पहले नित्यक्रिया कर लेना चहिए। बच्चों को सूर्य का जल जरूर चढाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से बुद्धि प्रखर होती है। माह में एक दो बार व्रत अवश्य करना चाहिए। भोजन करते समय मौन एवं स्नान करते समय भगवत नाम का संकीर्तन करना चाहिए। सुबह दिया जलाने से घर के झगडे दूर होते हैं और संध्याकाल में दीप जलाने से घर में महामारी नहीं फैलती है। गायत्री का स्मरण करने से नहीं होती अपच… गायत्री का जप करने का अधिकार सबको नहीं होता लेकिन उनका स्मरण जरूर करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से जठारग्नि तेज होती है और पाचन शक्ति मजबूत होती है और गैस नहीं बनती हैं। सुबह 8 बजे के पहले और शाम 6 बजे के बाद जो भोजन नहीं करते हैं, वे कभी बीमार नहीं पडते हैं, बल्कि 90 दिन मेें उनकी बीमारियां दूर होने लगती हैं। सरसों के तेल में बनााय हुआ टेंटी का अचार खाने से पित्तदोष नहीं होता है। उबली लॉकी खाने से कैंसर का खतरा दूर हो जाता है,लेकिन लॉकी का छिलका नहीं खाना चाहिए। धरती पर सबसे महत्वपूर्ण ब्राह्मण….. कौशिक महाराज ने कहा कि शिवपुराण के मुताबिक अखिल ब्राह्माण्ड नायक भगवान हैं, प्रथ्वी पर वही महत्व ब्राह्मण का है। जिस दिन ब्राह्मण नहीं रहेगा, ये धरती भी नहीं रहेगी। ब्राह्मण, वेद, गाय और अग्नि ये चारों भगवान के मुख से प्रकट हुए हैं, इसलिए नित्य यज्ञ एवं गुरूपूजा के साथ ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए। यज्ञ करने वाले प्रकृति के ऋण से मुक्त हो जाता है। प्रकृति से हम जितना लेते हैं, उसे वापस जरूर करना चाहिए, अन्यथा वह खुद ही ऐसा कर लेती है। इस मौके पर कथा परीक्षत नरेन्द्र शर्मा, मनीष शर्मा, उमेश उप्पल, राम पाण्डे, रामबाबू अग्रवाल, दिनेश पाराशर सहित हजारों श्रद्धालु श्रेता मौजूद रहे।