प्रबिस नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कौशलपुर राजा

– राकेश अचल


नए साल का आगाज आप चाहे ‘प्रबिस नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कौशलपुर राजा’ का सुरन कर कीजिये या कहिये या ‘बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम’ कहकर। दोनों का अर्थ, निहितार्थ यानि मतलब एक ही है। यानि जो कीजिए सर्वशक्तिमान को स्मरण कर कीजिए, ताकि वर्ष 2025 में कुछ तो ऐसा हो जो 2024 से अलग हो, सुकून देने वाला हो। ये दोनों जुमले हमने बचपन में अपने पुरखों से सुने थे। आज की पीढ़ी के लिए ये जुमले शायद अनजान से हों किन्तु हिन्दुस्तान के जनमानस में ये दोनों जुमले रचे-बसे हुए हैं।
नया साल लगने से पहले एक काम तो ये हुया कि जो काम देश के प्रधानमंत्री जी को करना था वो काम मणिपुर के नाकाम मुख्यमंत्री वीरेन कुमार ने कर दिया, यानि मणिपुर की हिंसा के लिए माफी मांग ली, लेकिन ये नाकाफी है, उन्हें अपनी नाकामी के लिए माफी मांगने के बजाय अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए था। लेकिन शायद इसकी इजाजत उनकी पार्टी के आला कमान ने उन्हें नहीं दी होगी। वैसे देश से, मणिपुर से संसद में माफी मांगी जाना चाहिए थी वो भी प्रधानमंत्री जी की ओर से, तो लगता कि सरकार को डेढ़ साल से जल रहे मणिपुर में अपनी नाकामियों का अहसास है और वो अपनी गलती पर शर्मिंदा है।
हम लोग भी दुनिया के दूसरे मुल्कों की तरह सनातनी हैं, आशावादी हैं, इसलिए उम्मीदें पालकर आगे चलते हैं। उम्मीदों के सहारे ही दुनिया आगे बढ़ती आई है। हमें उम्मीद है कि हमारे प्रधानमंत्री अपना राजहठ छोडक़र नए साल में रूस, यूक्रेन, नाइजीरिया जाने के बजाय एक-दो बार मणिपुर जरूर जाएंगे। वहां की जनता से बात करेंगे, वहां शांति स्थापना के लिए उपवास, व्रत, ध्यान करेंगे। ये और बात है कि वे ऐसा करेंगे नहीं, क्योंकि यदि उन्हें मणिपुर की आग को शांत करने के लिए गांधीवादी तरीका इस्तेमाल करना होता तो वे पहले ही ऐसा कर चुके होते। बहरहाल उम्मीदों पर हमारा भी यानि देश की जनता का आसमां टिका है, टिका रहेगा।
नए साल में दुनिया में शांति स्थापित हो ये हमारा ही नहीं पूरी दुनिया का सपना है। शांति से ही प्रगति का रास्ता खुलता है, यदि हम खोलना चाहें तो। यदि हम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण महकमे की तरह मोहन जोदाड़ो की नई संस्कृति और सभ्यता का पता लगाने के लिए पूरे देश में उत्खनन करना चाहते हैं तो बात और है। हमें अपनी ताकत, अपने स्त्रोत, विज्ञान के अन्वेषण पर खर्च करना चाहिए, क्योंकि हम दुनिया से अन्वेषण के मामले में लगातार पिछड़ रहे हैं। नए साल में यदि हम चीनी माल से अपनी निर्भरता से मुक्ति का अभियान चला पाएं तो मुमकिन है कि साल 2025, पिछले साल 2024 के मुकाबले यादगार बन जाए।
भारत की बात करें तो हम भारत के लोग न कांग्रेस मुक्त भारत चाहते हैं और न भाजपायुक्त भारत। हमें एक ऐसा भारत चाहिए जिसमें सभी तत्व मौजूद हों। सब मिलजुल कर सचमुच सबका विकास कर सकें वो भी सबको साथ लेकर। अभी हम केवल और केवल हिन्दुओं को साथ लेकर हिन्दुओं का विकास और बाकियों का सत्यानाश करने का काम कर रहे हैं। ये हकीकत है, कोई माने तो ठीक और न माने तो भी ठीक। हम तो अपने ‘मन की बात’ कर रहे हैं जैसे कि माननीय किया करते हैं। नया साल दल-बदलुओं से, बिभीषणों से, चाटुकारों से, अवसर वादियों से मुक्ति का आव्हान करता है। अब राजनीति में पासवानों, नीतीश कुमारों और सिंधियाओं की जरूरत नहीं है।
नए साल में देश में ऐसा माहौल बनना चाहिए जिसमें हर कोई अपने मन की बात कर सके। ये सुविधा केवल एक व्यक्त को ही हासिल नहीं होना चाहिए। नया साल उम्मीदों पर टिका साल है। हम चाहते हैं कि देश का नेतृत्व अब अमृतकाल को पार कर चुके लोगों के बजाय उन हाथों में आए जो नौजवान हैं। जिनके पास नई दृष्टि है। जो नया हौंसला रखते हैं। जो अपनी प्राथमिकताओं में बुनियादी मुद्दों को सबसे ऊपर रखें। हर राजनीतिक दल को अब अपने युवा नेतृत्व को सामने लाना चाहिए। वे ही भावी चुनौतियों का दृढ़ता से सामना कर सकते हैं। वे फकीरों की तरह झोला डालकर न मैदान छोड़ेंगे और न किसी झोले को देखकर भयभीत होंगे।
पुराने भारत का रास्ता सनातनी रास्ता था, गांधी का रास्ता था, हमें उसी रास्ते पर आगे बढऩा चाहिए। हमने यदि गांधी का रास्ता न छोड़ा होता तो हम कहीं के कहीं होते, लेकिन गांधी को राष्ट्र का शत्रु मानकर हमने गांधी का रास्ता छोड़ा और आज हम जहां खड़े हैं वो आप सब जानते हैं। हम एक ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं जो कहने को गौरव की स्थापना का है किन्तु इस रास्ते पर चलते लोग हमें प्रतिशोध से भरे दिखाई दे रहे हैं। वे देश के प्रथम प्रधानमंत्री से लेकर 13वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से भी बदला लेते दिखाई दे रहे हैं। प्रतिशोध का महाभारत 18 दिन में क्या 18 सदियों में भी समापत नहीं हो सकता। हमने तो नए साल में पहला कदम अपने हृदय में कौशलपुर के राजा का स्मरण कर किया है। हमारा नया कदम उस सर्व शक्तिमान के नाम पार है जो अकबर है, जो अल्लाह है, जो राम है, जो कृष्ण है, जो बुद्ध है, जो वाहे गुरु है, जो जीसस है। आपकी आप जानें। आज का आलेख न आपको एआई लिखकर दे सकता है और न कोई दूसरा। इसलिए इसे कम से कम दो बार जरूर पढि़ए। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनयें।