नाबालिगा को भगाकर ले जाने वाले आरोपी को पांच वर्ष का कारावास

सागर, 19 जनवरी। तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला की अदालत नेे नाबालिगा को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने वाले अभियुक्त दिनेश को धारा 363, 368 भादंवि के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं दो-दो हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(व्ही-क) के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता के भाई) ने 13 अप्रैल 2018 को पुलिस थाना खिमलासा में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि करीब एक वर्ष पूर्व पीडिता सात-साढे सात बजे शौंच के लिए गई थी, लेकिन वह वापस नहीं आई, तब बालिका को आस-पास और रिश्तेदारों में ढूंढा परंतु उसका पता नहीं चला। पीडिता को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला-फुसलाकर भगा जाने की शंका व्यक्त की। 16 जुलाई 2018 को पीडिता के दस्तयाब होने पर उसने अपने न्यायालयीन कथनों में बताया कि करीब एक वर्ष पूर्व शाम सात बजे की घटना है। वह शौंच से वापस आ रही थी, तभी अभियुक्त दिनेश उसे मिला और वह उसका मुंह बंद करके उसे मोटर साइकिल पर बैठाकर ले गया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना खिमलासा पुलिस ने धारा 366, 368, 376, 506, 372, 34 भादंसं, धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा धारा 3(2)(व्ही-क), 3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।