अपवित्रता से पवित्रता की ओर आने की प्रक्रिया ही सोच धर्म है : विनय सागर

पर्यूषण पर्व पर 64 मण्डलीय सिद्धचक्र विधान में हुई उत्तम सोच धर्म की आरधान
मुनि के सानिध्य में सुबह विधान और शाम को हुई धार्मिक प्रतियोगिता

भिण्ड, 22 सितम्बर। हमें संतोष धारण करना चाहिए, व्यक्ति को तपस्या यथाशक्ति करनी चाहिए। संतोषी व्यक्ति ही सुख को प्राप्त करता है, लोभ पर विजय प्राप्त करना ही उत्तम सोच धर्म है। मन की स्वच्छता के लिए जरूरी उत्तम सोच धर्म ही माना गया है। उत्तम सोच धर्म हमें पवित्रता सिखाता है। सोच का अर्थ पवित्रता है, सोच धर्म शुद्ध भावों को कहते हैं। अपवित्रता से पवित्रता की ओर आने की प्रक्रिया ही सोच धर्म है, जिसकी प्राप्ति बहुत ही कठिन है। यह बात श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने शुक्रवार को महावीर कीर्तिस्तंभ परिसर में पर्यूषण महापर्व के चौथे दिन उत्तम सोच धर्म और 64 मण्डलीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि उत्तम सोच हमें हमारे शरीर में निहित अशुद्धि क्रोध, मान, माया, लोभ का निस्तारण कर पवित्रता प्राप्त करे। अत: हमारे हृदय में मद क्रोधादिक बढाने वाली जितनी भी दुर्भावनाएं हैं, इनमें सबसे प्रबल लोभ कषाय है। इस लोभ कषाय पर विजय पाना ही उत्तम सोच है। संतोष धारण करने का दिन ही सोच धर्म है। हमें वर्तमान समय में इसकी महती आवश्यकता है। कहा भी गया है- लोभ पाप का बाप बखाना। लोभ का त्याग कर हम अपने जीवन में शौच धर्म को अपनाएं, तभी सोच धर्म मनाना सार्थक होगा।

पर्यूषण पर्व में शाम को श्रमण मुनि के सानिध्य मे आनंद यात्रा में प्रश्न मंच, लक्की ड्रा और प्रतियोगिता के पुरुस्कार वितरण के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए।
पर्यूषण की भक्ति में झूमकर किया भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक
प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ससंघ के सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य नीतेश शास्त्री अशोकनगर ने पर्यूषण पर्व पर भक्तों ने संगीतमय मंत्र उच्चारण एवं कलशों से भक्तिभाव के साथ भगवान जिनेन्द्र अभिषेक जयघोष के साथ किया। मुनि के मुखारबिंद से भगवान जिनेन्द्र के मस्तक पर शांतिधारा इन्द्रों ने की। वहीं इन्द्रा-इन्द्राणियो ने दीपकों से भगवान जिनेन्द्र की आरती उतारी।
भजनों पर किया भक्ति नृत्य, 64 मण्डलीय पर चढाए महाअघ्र्य
सिद्धचक्र महामण्डल विधान में श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य नीतेश शास्त्री मार्गदर्शन में 64 मण्डलों पर अलग-अलग परिवार और सौधर्म इन्द्रा- राकेश जैन मुंबई, चक्रवर्ती राजा- आयशा जैन, कुबेर इन्द्रा- चक्रेश जैन, ईशान इन्द्रा- सपना जैन, जोली जैन, यज्ञ नायक- सुनीता जैन, सुनील जैन, महायज्ञ नायक- प्रियांशु जैन, सानत कुमार ममता जैन परिवार सहित इन्द्र-इन्द्राणियों ने पूजा अर्चना और संगीतमय भजनों पर झूमकर भगवान जिनेन्द्र के समक्ष महाअघ्र्य समर्पित किए।