सागर, 09, सितम्बर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग लडक़ी के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त चाचा को दोषी करार देते हुए धारा 376(3) भादंवि के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 506(भाग-2) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, पॉक्सो एक्ट की धारा 5(एल), सहपठित धारा 6 में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 5(एन), सहपठित धारा 6 में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
न्यायालय ने निर्णय पारित करते समय यह टिप्पणी की थी कि अभियुक्त पर भी बालिका का चाचा होने के नाते उसके संरक्षण का दायित्व था, परंतु अभियुक्त ने उसके भाई की पुत्री बालिका के साथ कई बार बलात्संग जैसा गंभीर अपराध कर किसी स्त्री के उसके घर के अंदर सुरक्षित होने की परिकल्पना को ही खण्डित किया है, बलात्संग का अपराध सबसे जघन्य अपराध में से एक है तथा एक सुरक्षित समाज तब होता है जब वह बलात्कार मुक्त हो। इन परिस्थितियों में अभियुक्त को युक्तियुक्त रूप से कठोर दण्ड से दण्डित करना न्यायोचित है।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीडि़त बालिका ने 31 अगस्त 2022 अपने माता-पिता के साथ उपस्थित होकर इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 30 अगस्त को वह दूध लेने गई थी तथा डेयरी से दूध लेकर वापस घर आ रही थी, तभी मन्दिर के पास उसे उसका चाचा (अभियुक्त) मिला, जिसने बालिका को उसके साथ चलने के लिए कहा और मन्दिर के पीछे ले जाकर उसका मुंह दबाकर उसके साथ गलत काम किया। मौके पर बालिका की मां आ गई तो उसे देखकर अभियुक्त छुप गया फिर बालिका अपनी मां के साथ घर वापस आ गई और घटना के बारे में पिता को बताया। इसके पहले भी अभियुक्त दो-तीन बार धमकी देकर पीडि़ता के साथ गलत काम कर चुका है, लंकिन अभियुक्त द्वारा जान से मारने की धमकी देने के कारण पीडि़ता ने घटना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना सुरखी पुलिस ने धारा 376(2)(एन), 376(2)(च)ए, 376(3), 506 भादंसं, धारा 5(एल)(एन), सहपठित धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।