धर्म-परिवार व देश-समाज की रक्षा का संकल्प ही रक्षाबंधन है : विनय सागर

कीर्तिस्तंभ में भगवान श्रेयांसनाथ के मोक्ष कल्याणक पर चढाया निर्वाण लड्डू

भिण्ड, 30 अगस्त। रक्षाबंधन 700 मुनिराजों पर आए उपसर्ग निवारण का पर्व है, 700 मुनियों की रक्षा के लिए मुनि विष्णु कुमार ने अपने मुनि पद को छोडकर श्रावक बनकर उनकी रक्षा की थी। रक्षाबंधन पर्व प्यार और रक्षा के संकल्प का पर्व है। भाई-बहन का रिश्ता दुनिया में सबसे मजबूत और पवित्र रिश्ता है। धर्म और परिवार की रक्षा का संकल्प, देश और समाज की रक्षा का संकल्प ही रक्षाबंधन है। यह बात श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार भिण्ड के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को चातुर्मास स्थल महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में रक्षा बंधन पर भगवान श्रेयांशनाथ के मोक्ष कल्याणक पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि रक्षाबंधन का मुख्य महत्व तभी है, जब हम अपने धर्म, धर्मायतनों, मुनिराजों, आर्यिका माताजी आदि साधुओं, राष्ट्र, पर्यावरण की रक्षा हेतु विचार करें। रक्षाबंधन मात्र भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्व नहीं है, बल्कि मां, बेटा, भाई, पति-पत्नी कोई भी हो, सभी के प्रति वात्सल्य एवं प्राणी मात्र की रक्षा का पर्व है। जहां वात्सल्य भाव होता है, वहीं रक्षा का भाव होना संभव है। अत: रक्षाबंधन वात्सल्य पर्व ही है। रक्षाबंधन के दिन जैन मन्दिरों में श्रावक-श्राविकाएं जाकर धर्म और संस्कृति की रक्षा के संकल्प रक्षासूत्र बांधते हैं।
जैन समाज ने मुनि की पिच्छी में राखियां बांधकर लिया रक्षा का संकल्प
मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज की पिच्छी में जैन समाज के लोगों ने राखियां बंधने के उपरांत संत व धर्म की रक्षा के संकल्प के साथ रक्षा बंधन के दिन 700 मुनिराजों पर आए उपसर्ग निवारण का पर्व की रक्षा का संकल्प लिया।
भगवान श्रेयांसनाथ किया अभिषेक, चढाया निर्वाण लड्डू
मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में 11वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ का अभिषेक इन्द्रों ने जयकारों के साथ किया तथा शांतिधारा की गई। वहीं मुनि व विधानचार्य पं. शशिकांत शास्त्री मार्गदर्शन में भगवान श्रेयांसनाथ भगवान का निर्वाण काण्ड पूजन के बाद भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए 11 किलो मुख्य निर्वाण लड्डू प्रथम अशोक जैन, सीमा जैन परिवार सहित लड्डू 11 परिवारों के साथ जैन समाज के लोगों ने निर्वाण लड्डू जयकारों के साथ समर्पित किया।