सागर, 23 अगस्त। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने शादी का झांसा देकर नाबालिग के साथ जबरन दुष्कर्म करने वाले आरोपी नीलेश रजक को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(3) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 6 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/एसटी एक्ट के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही-ए) एससी/एसटी एक्ट के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (बालिका की मां) ने 14 अगस्त 2020 को थाना केसली में रिपोर्ट लेख कराई कि बालिका (पीडिता) सात अगस्त 2020 को रिश्तेदारी में जाने का कहकर निकली थी जो घर वापस नहीं आई। जिसकी तलाश एवं रिश्तेदारी में पता करने पर उसका काई पता नहीं चला है, अभियुक्त नीलेश रजक पर बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। 15 सितंबर 2020 को पीडिता के दस्याब होने पर उसने बताया कि अभियुक्त नीलेश रजक उसे शादी का झांसा देकर ले गया और उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना केसली पुलिस ने धारा 366ए, 376(3), 376(2)(एन), 344, 506 भादंसं, धारा 3/4, 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा धारा 3(2)(व्ही-ए), 3(2)(व्ही), धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आईआई) एससी/ एसटी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।