सागर, 10 अगस्त। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला के न्यायालय ने बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी छोटू उर्फ राधेश्याम को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(1) में 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 342 में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 506(भाग-2) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, अजा एवं जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(2)(आई) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(1) में आजीवन सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(1-ए) में पांच वर्ष सश्रम कारावास व एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया गया है। प्रकरण में बालिका के पुनर्वास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में चार लाख रुपए प्रतिकर दिए जाने का आदेश किया गया है। मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता बालिका ने 18 सितंबर 2019 को पुलिस थाना जैसीनगर में एक लिखित आवेदन इस आशय का दिया कि 13 सितंबर के दोपहर करीब 2:30 बजे वह स्कूल से लंच होने पर उसके घर जाने के लिए निकली तभी कुछ दूर जाने पर रास्ते में टेपरे के पास उसे अभियुक्त राधे उर्फ छोटू ठाकुर मिला जो उसका बैग लेकर दौडकर एक कमरे के अंदर चला गया, वह पीछे-पीछे बैग लेने गई तो अभियुक्त छोटू उर्फ राधेश्याम ने उसे कमरे के अंदर कर गेट बंद कर लिया और वह चिल्लाई तो अभियुक्त ने उसका मुंह दबा लिया और बालिका द्वारा आवाज देने पर अभियुक्त ने उसे जान से मार कर फैंक देने की धमकी दी तथा जबरदस्ती उसके साथ बुरा काम किया। उसी समय मोहल्ले के कुछ आदमी आ गए जिनकी आवाज सुनकर छोटू उर्फ राधेश्याम उसे छोडकर भाग गया और जाते-जाते भी उसने बालिका को घटना के बारे में बताने पर जान से मारने की धमकी दी थी। बालिका के माता-पिता रिश्तेदारी में बाहर गए होने से वह उस दिन रिपोर्ट लिखाने नहीं गई तथा उसके माता-पिता के आने पर उसने घटना के बारे में उसके माता पिता तथा उसकी बहनों को बताया फिर उसने उसके पिता के साथ थाने जाकर रिपोर्ट की। उक्त आवेदन के आधार पर अभियुक्त छोटू उर्फ राधेश्याम के विरुद्ध थाना जैसीनगर में अपराध क्र.193/2019 अंतर्गत धारा 376, 366ए, 506 भादंसं एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(2)(1-ए), 3(1)(2) अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। न्यायालय में अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।