बच्चों के सुखमय जीवन हेतु उन्हें धर्म की राह पर अग्रसर करें : विनय सागर

48 दिवसीय भक्ताम्बर विधान चल रही है प्रभु की आरधान

भिण्ड, 28 जुलाई। धर्म मनुष्य को जीने की कला सिखाता है, धार्मिक आचरण ही युवाओं और बच्चों को उनके जीवन की सार्थकता का बोध करा सकता है। इसलिए हर अभिभावक का दायित्व है कि वह अपने बच्चों को धर्म के मार्ग पर अग्रसर करें। धर्म के महत्व का बोध होने पर ही सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन और समाज में नैतिक मूल्यों का विकास कर सकते हैं, क्योंकि सुसंस्कारिक युवाओं से ही एक सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण संभव है। जो युवा अहिंसा, त्याग और परोपकार के मार्ग पर चलेगा, वो ही आत्मिक सुख का आभास करा सकता है। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षा योग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में शुक्रवार को महावीर कीर्तिस्तंभ में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में व्यक्त किए।

मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि समाज में युवाओं को धर्म की महत्ता का बोध नहीं होगा तो वह समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निवर्हन कतई नहीं कर सकता। युवाओं में नैतिक मूल्यों के साथ भारतीय संस्कृति के प्रति भी समर्पण का भाव होना चाहिए। उन्होंने खासकर युवा पीढ़ी को कहा कि आज की युवा पीढ़ी फास्ट फूड की तरफ आकषिर्त हो रही है, जिससे उनका स्वास्थ्य गिर रहा है। इससे मानसिक तनाव के चलते अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिवार में लाख वैचारिक मतभेद हों कि उसके बावजूद भी वह माता-पिता और सभी बुजुर्गों का सम्मान करेंगे, तभी उनका जीवन सुखमय होगा। आज आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग हो रहा है। इंटरनेट का बेजा इस्तेमाल से छात्र-छात्राओं में असुरक्षा का वातावरण पनप रहा है और नैतिक पतन भी हो रहा है। माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को मन्दिर तक ले जाएं और उन्हें धर्म से जोडें। उन्हें संतों के मार्गदर्शन में जीवन जीने की कला सिखाएं। भारतीय संस्कृति युवाओं के जीवन को सार्थक प्रेरणा का स्त्रोत है। इन चुनौतियों से निपटने में अहिंसात्मक जीवन शैली और मानवीय मू्ल्यों को लेकर सजगता जरूरी है।
इन्द्रों ने मंत्रों से किया भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक एवं बृहद शांतिधारा
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ को जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा- प्रेमचन्द्र जैन, बंटी जैन परिवार ने शांतिधारा की। मुनि को शास्त्र भेंट समजा जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन प्रेमचन्द्र जैन, बंटी जैन महावीर गंज परिवार ने किया।
विधान में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भगवान जिनेन्द्र को चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में प्रेमचन्द्र जैन, बंटी जैन परिवार एवं इन्द्रा इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भजनों पर भक्ति नृत्य कर महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।