हत्या कारित करने वाले 10 आरोपियों को आजीवन कारावास

शाजापुर, 22 जुलाई। न्यायालय पष्ठम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला शाजापुर के न्यायालय ने राजीनामा करने की बात को लेकर हत्या कारित करने वाले आरोपीगण भगवान सिंह पुत्र ओंकार सिंह, शिवनारायण एवं सुरेश पुत्रगण चंदर सिंह, निर्भय सिंह पुत्र भय्याजी, ज्ञानसिंह एवं जीवन सिंह पुत्रगण बंशीलाल, चंदर सिंह एवं बंशीलाल पुत्रगण हरजी निवासीगण ग्राम तलेनी, जिला शाजापुर एवं लच्छीराम पुत्र बाबूलाल निवासी ग्राम नान्याखेडी जिला आगर मालवा, मुकेश पुत्र शंकरलाल निवासी ग्राम कण्डाराखेडी जिला देवास को धारा 302/149 भादंवि में आजीवन कारावास एवं दो-दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 148 भादंवि में दो-दो वर्ष सश्रम कारावास एवं एक-एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 506 भादंवि में एक-एक वर्ष सश्रम कारावास और 500-500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी उपसंचालक (अभियोजन) शाजापुर सुश्री प्रेमलता सोलंकी एवं अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी शाजापुर रमेश सोलंकी ने की।
उपसंचालक अभियोजन जिला शाजापुर प्रेमलता सोलंकी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि पांच अगस्त 2018 को सुबह लगभग नौ बजे फरियादी चंदर सिंह अपके खेत की बीड जंगल ग्राम तलेनी में मवेशी चरा रहा था, तभी आरोपीगण एक मत होकर उसके खेत पर आए और पुराने झगडे के केस में राजीनामा करने को चंदर सिंह से बोला। फरियादी चंदर सिंह ने राजीनामा करने से मना किया, तो उक्त बात को लेकर सभी आरोपीगण ने चंदर सिंह को जान से मारने की धमकी देकर फर्सी, लकडी, चाकू, कुल्हाडी से मारपीट कर घायल कर दिया। चिल्लाचोंट की आवाज सुनकर फरियादी की भाभी सुगनबाई, उसके भतीजे संजय एवं हुकुम सिंह बीच बचाव करने के लिए दौडकर आए, तभी आरोपीगण घटना स्थल से भाग गए। फरियादी चंदर सिंह के भतीजे संजय ने तत्काल डायल 100 वाहन को मोबाईल से सूचना देकर गाडी बुलाई, जिसमें घायल चंदर सिंह को थाना सुंदरसी लेकर आए, जहां फरियादी चंदर सिंह ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस घायल चंदर सिंह को ईलाज हेतु जिला अस्पताल शाजापुर लेकर आई। जहां पर प्राथमिक उपचार पश्चात चंदर सिंह की गंभीर हालत होने के कारण उसे डॉक्टर ने एमवाय हॉस्पीटल इन्दौर रैफर कर दिया। घायल चंदर सिंह को उसके परिवार वाले एमवाय हॉस्पीटल इन्दौर लेकर गए, जहां डॉक्टर ने चंदर सिंह को मृत घोषित कर दिया। पुलिस थाना सुंदारसी द्वारा प्रकरण में अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होकर आरोपीगण को दण्डित किया है।