सागर, 30 जून। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी योगेश ठाकुर को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(1) में 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, अजा एवं जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही-ए) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) में आजीवन सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (बालिका के पिता) ने छह सितंबर 2019 को पुलिस थाना केंटोन्मेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उक्त दिनांक को बालिका सुबह 11 बजे स्कूल गई थी जो शाम 4.30 बजे तक घर वापिस नहीं आई, तो फिर उसने बालिका की सहेलियों एवं उसके सभी रिश्तेदारों में बालिका के बारे में पता किया, लेकिन बालिका का पता नहीं चलने पर अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका के आधार पर रिपोर्ट लेख कराई। 10 अगस्त 2021 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने बताया कि अभियुक्त योगेश उसे शादी करने की कहकर राजकोट ले गया था और एक किराये के कमरे में अभियुक्त योगेश ने बालिका के साथ उसकी मर्जी के बगैर दुष्कर्म किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने में प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना केंटोन्मेंट पुलिस ने धारा-366, 376-ए, 376-डी भादंसं एवं धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट 2012 एवं धारा 3(2)(अ), 3(2)(अ) अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।