रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर व्याख्यानमाला आयोजित
ग्वालियर, 19 जून। सेवार्थ जन कल्याण समिति द्वारा शहर और प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित 12 शिक्षण केन्द्रों पर गत एक सप्ताह से देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले स्वतंत्र वीर और वीरांगनाओं के त्याग बलिदान योगदान पर आधारित संवाद, प्रश्नोत्तरी और विभिन्न गतिविधियों का सोमवार को महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थित ग्वालियर में समापन हुआ।
सर्वप्रथम सुबह 10 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच 1857 की क्रांति में महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन वृत्त तथा भारत की स्वतंत्रता में अपना अनुकरणीय योगदान देने वाले क्रांतिकारियों, सेनानियों, समाजसेवी संगठनों की कार्यशैली पर पांच चरणों में बच्चों से विभिन्न प्रश्न पूछे गए। 1857 की क्रांति, क्रांति पर लिखित इतिहास, क्रांति का स्वरूप, भारत में क्रांति के स्थल तथा क्रांति के कारणों और उसके परिणामों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कई उल्लेखनीय तथा विशिष्ट प्रश्न पूछे गए। मिश्रित समूहों में बच्चे कक्षा छटवी से 12वीं तक पढऩे वाले बच्चों के लिए बहुत आनंददाई एवं रुचिकर तरीके से प्रश्नों को समझा और उनके उत्तर भी दिए।
कार्यक्रम की तैयारी गत एक माह से चल रही थी तथा सभी पाठशाला केन्द्रों पर बच्चों को भारत के इतिहास, वीरांगनाओं और सैनिकों द्वारा किए गए कार्यों, उनके त्याग इत्यादि के बारे में शहर के प्रख्यात इतिहासकारों को बुलाकर परिचर्चाएं और परिसंवाद आयोजित किए जा रहे थे। जिस राष्ट्र का अतीत स्वर्णम और गौरवशाली होता है, जब अधिगम स्थानांतरण के माध्यम से यह कथाएं, सारी गाथाएं बच्चों पर पहुंचती हैं, निर्मल और विकार रहित मस्तिष्क में नि:संदेह राष्ट्रीयता के बीजों का रोपण होता है। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता संपन्न होने के बाद प्रथम, द्वितीय तृतीय स्थान पर आने वाले बच्चों को अटल सेना के पदाधिकारियों योगेश गर्ग एवं वृंदावन शर्मा, श्रीमती शगुन वैश्य, तहसीलदार शिवदत्त कटारे स्वप्निल फाउण्डेशन से सुमित सक्सेना, पवन दीक्षित, मुख्य अतिथि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त प्रबंधक अंबरीश दीक्षित इत्यादि ने बच्चों को पुरस्कृत किया।
उल्लेखनीय है कि किसी भी शिक्षक को हमारी समिति कोई वेतन नहीं देती, इसलिए शिक्षकों के अतुलनीय और प्रशंसनीय कार्य का योगदान अमूल्य है। हम तो शिष्टाचार और स्वस्थ परंपराओं को कायम रखने के लिए श्रीमती शगुन वैश्य, एसडीएम चंद्रभूषण प्रसाद ने अपनी ओर से सभी 35 शिक्षकों को जो विभिन्न पाठशाला में विगत चार वर्षों से अध्यापन कार्य कर रहे हैं को लगभग 50 हजार की सामग्री वितरित की। जिसमें वस्त्र तथा शैक्षणिक सामग्री सम्मिलित थी। इसके अतिरिक्त कक्षा आठवीं, दसवीं और 12वीं में 80 प्रतिशत या उससे अधिक प्राप्तांक वाले विद्यार्थियों का भी सम्मान किया गया। यहां उल्लेखनीय है कि मेरिट में स्थान पाने वाले लगभग 20 बच्चों को भी स्टेशनरी के रूप में कई महत्वपूर्ण वस्तुएं प्रदान की गई। इसका प्रबंध भी प्रख्यात समाज सेविका श्रीमती शकुन वैश्य ने किया था। पाठशाला समूह दानदाताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है।
अपने उद्बोधन में सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अमरीश दीक्षित ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि वितरण, रिसीवर, देव ऋण के अतिरिक्त प्रत्येक समर्थ व्यक्ति का यह दायित्व है कि उसे राष्ट्र और समाज के प्रति भी दायित्व बोध होना चाहिए। इसी विचारधारा का पोषण और संवर्धन करने के लिए सेवार्थ जन कल्याण समिति अपना महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। पवन दीक्षित ने बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए भविष्य में कई अन्य शैक्षणिक तथा रचनात्मक गतिविधियों की प्रस्तावना पर चर्चा की। कार्यक्रम के उपरांत सभी बच्चे अतिथियों के साथ रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर माल्यार्पण और श्रृद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे। रानी लक्ष्मीबाई अमर रहें, भारत माता की जय के गगनभेदी नारों से सारा वातावरण राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत हो गया।
इस अवसर पर पाठशाला समूह के पदाधिकारी अध्यक्ष ओपी दीक्षित (मप्र शासन द्वारा गौरव सम्मान से सम्मानित), सेवानिवृत्त सेना अधिकारी मनोज पाण्डे, सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक मोहनलाल अहिरवार, सेना से सेवानिवृत्त और कार्यक्रम संयोजक रामस्वदेशी राठौर, मुरारीलाल राय तथा बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, पत्रकार बंधु, लगभग 100 छात्र उपस्थित थे।