2जी, 3जी, 3जी पार्टी बनाम शाह की ‘हां जी’ पार्टी

@ राकेश अचल


मैं शुरू से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मुरीद हूं। वे भाजपा के चाणक्य, आधुनिक सरदार बल्लभभाई पटेल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बजरंगबली और न जाने क्या-क्या हैं। वे भारतीय राजनीति में बहुत कुछ हैं। उनसे चोंच लड़ाना आसान नहीं। वे नए-नए प्रतीकों के साथ अपनी बात करते हैं। उनके जैसी मौलिकता किसी मौलाना क पास भी नहीं है। दक्षिण से भाजपा का तंबू उखडऩे और भाजपा विरोधी राजनीति का आगाज होने के बाद शाह ने वंशवाद की राजनीति और कथित भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस और डीएमके के लिए नए प्रतीक गढ़े हैं। अब पूरी भाजपा वर्ष 2024 तक इन्ही के सहारे गुरिल्ला युद्ध लड़ेगी।
अमित जी ने कांग्रेस और डीएमके को ‘2जी, 3जी, 4जी पार्टियां’ करार देते हुए कहा कि तमिलनाडु में इन्हें उखाड़ फेंकने और धरती पुत्र को सत्ता देने का समय आने की बात कही है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, कि कांग्रेस और डीएमके 2जी, 3जी, 4जी पार्टियां हैं। उन्होंने कहा कि मैं 2जी (स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले) की बात नहीं कर रहा हूं। 2जी का मतलब दो पीढ़ी, 3जी का मतलब तीन पीढ़ी और 4जी का मतलब चार पीढ़ी हैं। शाह ने दोनों दलों पर निशाना साधते हुए कहा, डीएमके दो पीढिय़ों से भ्रष्टाचार कर रही है। करुणानिधि परिवार तीन पीढिय़ों से भ्रष्टाचार कर रहा है। वहीं, गांधी परिवार 4जी है जिसमें राहुल गांधी चौथी पीढ़ी हैं और चार पीढिय़ों से वे सत्ता का आनंद ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि 2जी, 3जी, 4जी को बाहर कर दिया जाए और तमिलनाडु की सत्ता धरती पुत्र को दी जाए। तमिलनाडु वाले बड़े चतुर हैं। उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बहुत सस्ते में निबटा दिया। तमिलनाडु ने मोदी जी को चोल वंश का राजदण्ड ‘सेंगोल’ दे दिया क्योंकि भाजपा को सत्ता देने का तमिलनाडु वालों का कभी कोई इरादा नहीं रहा। दरअसल तमिलनाडु वाले दूध के जले हैं इसलिए छाछ भी फूंक-फूंक कर पीते हैं। तमिलनाडु की एक पार्टी ने 1999 में भाजपा से हाथ मिलाया था और जब कुछ हाथ नहीं आया तो 2004 में हाथ खींच लिया। तब से अब तक वाह ने इन पार्टियों को जो कहा वे सचमुच वैसी ही हैं।
शाह की कांग्रेस समेत तमिलनाडु की दीगर पार्टियों को जो उपमा दी गई उसका कोई तोड़ नहीं, यानि वे बेजोड़ हैं। लेकिन इन पार्टियों में से एक को भी फिलहाल शाह साहब की बात का जबाब नहीं सूझा। जबाब देना सूझबूझ का काम है। सूझबूझ विपक्ष के पास शायद होती नहीं। होती तो कोई भी कांग्रेसी, डीएमके या एआईडीएमके वाला भाजपा को बिना सोचे समझे ‘हां जी’ वाली पार्टी कह सकता था। भाजपा में 9 साल से नेता हों या कार्यकर्ता ‘हां जी’ के अलावा कोई दूसरा शब्द जानते ही नहीं।
बहरहाल ये भाजपा का अंदरूनी मामला है। दक्षिण के लोग तो अब उस ‘धरतीपुत्र’ की खोज में जुटे हैं जिसका जिक्र वाह साहब ने किया है। इस समय देश में धरती से जुड़े दो ही नेता हैं। एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दूसरे पप्पू राहुल गांधी। मोदी जी ने घाट-घाट का पानी पिया है और राहुल गांधी भाजपा को घाट-घाट जाकर पानी पिला रहे हैं। राहुल ने तो अति कर दी है। अमेरिका जाकर भी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोसते हैं। उन्होंने एक बार भी अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को नहीं कोसा। वे किसी दूसरी गैर कांग्रेसी सरकार को और उसके प्रधानमंत्री को भी नहीं कोसते, वरना मोरारजी देसाई, चरण सिंह, चंद्रशेखर, गुजराल, देवगौड़ा भी तो हैं।
दरअसल कांग्रेस और दूसरी दक्षिणी दल जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के खिलाफ रहे। सबने 2004 से 2014 तक खूब भ्रष्टाचार किया। मदुरै की स्थापना नहीं की और अब भाजपा को दक्षिण में स्थापित नहीं होने दे रहे। कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश पहले से ही धरती पुत्र को घास नहीं डाल रहे। अकेले उत्तर, पूर्व और पश्चिम के सहारे तो देवलोक की सरकार बन नहीं सकती। राम राज आ नहीं सकता।
देश को राम राज की जरूरत है। ऐसा रामराज जिसमें बैंकों को लूटकर विदेश भागने की, काला धन जमा करने की, नफरत फैलाने की, ईवीएम का बटन दबाते समय जय बजरंगबली बोलने की छूट हो। ऐसा राम राज तभी आ सकता है जब काशी से मद्रास एक हो। ऐसा कब होगा, राम ही जाने!

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