मुनियों का कोई नियोग नहीं, लेकिन सौधर्म इन्द्र का योग होता है : विहसंत सागर

पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में हुआ तीर्थंकर बालक का जन्म

भिण्ड, 10 जून। मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज ससंघ सानिध्य में 13 जून तक निराला रंग विहार मेला ग्राउण्ड में चल रहे 1008 मज्जिनेन्द्र जिनबिंब शांतिनाथ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में शनिवार को तीर्थंकर बालक भगवान शांतिनाथ का जन्म हुआ।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि जिस समय तीर्थंकर बालक गर्भ में आने वाले होते हैं कुबेर, सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से चार बार रत्नों की वर्षा करते हैं और 15 माह तक रत्न वृष्टि होती है। आज तीर्थंकर शांतिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक है, आज उस खुशी में हम भी शामिल हो रहे हैं। मुनियों का कोई नियोग नहीं, लेकिन सौधर्म इन्द्र का योग होता है, वह तीर्थंकर बालक को देखने के लिए अपनी इन्द्राणी को भेजता है। उन्होंने बताया कि भगवान शांतिनाथ जैन दर्शन के 16वें तीर्थंकर हैं, इनका जन्म हस्तिनापुर दिल्ली के निकट इच्छवाकु वंश के एक शाही परिवार में हुआ था। जब वह 25 वर्ष के थे तब सिंहासन पर बैठे, लेकिन उसे भी त्याग दिया और 50 वर्ष की आयु में जैन दीक्षा धारण की।
जन्म की खुशी में निकली गजयात्रा
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान शांतिनाथ तीर्थंकर बालक के जन्म की खुशी में नगर में गजयात्रा निकाली गई, जिसमें हाथी पर सवार होकर तीर्थंकर बालक को बिठाकर नगर का भ्रमण कराया गया। गज यात्रा मेला प्रांगण से महावीर गंज, राज टॉकीज मार्ग, सदर बाजार, परेड चौराहा, इटावा रोड से देवनगर कॉलोनी होते हुए वापस निराला रंग बिहार पहुंची। जहां तीर्थंकर बालक का 108 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया गया।
मुनिराज विहसंत सागर महाराज बताते हैं कि जब भगवान शांतिनाथ का जन्म हुआ था तब सौधर्म इन्द्र ने 1008 कलशों से सुमेरू पर्वत पर अभिषेक किया था। उस पर्वत का एरिया लगभग एक लाख 99 हजार 40 योजन का ऊपर का हिस्सा होता है। इतने विशाल पर्वत पर तीर्थंकर बालक का जन्माभिषेक होता है। उस समय एक कलश का मुख 96 किमी का होता था और 100 किमी का कलश का पेट होता था। ऐसे 1008 कलशों से भगवान का दूध के समान क्षीर सागर के जल से अभिषेक हुआ था।
आशीर्वाद लेने पहुंचे विधायक
निराला रंग बिहार में चल रहे पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान के जन्म कल्याणक अवसर पर विधायक संजीव सिंह कुशवाह मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंचे।