भिण्ड, 28 मई। जीव को किसी की निन्दा स्तुति करने के बजाय भगवान की ही चर्चा करनी एवं सुननी चाहिए। प्रभु चरित्रों को श्रवण करने से भगवान का चिंतन करने से की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है। यह उद्गार लहार में चल रही श्रीमद् भागवत् कथा के दौरान प्रवचन करते हुए महंत कैलाश नारायण दास शास्त्री ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि विशाल पेड़ जिस प्रकार छोटी सी कुल्हाड़ी से कट जाता है, उसी प्रकार प्रभु के चरण कमल का स्मरण करने से जीव के सारे पाप कट जाते हैं। इसके लिए उसे प्रभु की शरण में आना होगा। प्रभु की हर इच्छा, प्रत्येक लीला को प्रसन्नता से स्वीकार करने वाला ही सच्चा भक्त होता है। आराधना करके जैसे भक्त चाहता है उसे उसी रूप में प्रभु प्राप्त होते हैं। इसलिए मनुष्य को अपना दुख संसार के सामने नहीं प्रभु के सामने ही प्रकट करना चाहिए। शास्त्री ने कहा कि भगवान का परम भक्त प्रहलाद, जिसे कि पिता हिरण्य कश्यप द्वारा अति भयंकर यातनाएं दीं, परंतु प्रहलाद हर जगह अपने प्रभु का ही दर्शन करते थे। प्रभु नरसिंह भगवान ने भक्त के विश्वास को पूर्ण करते हुए खंबे से प्रगट होकर यह दिखा दिया कि भक्त की इच्छा एवं विश्वास को पूर्ण करने के लिए वह कहीं भी किसी भी समय प्रगट हो सकते हैं। रविवार को कृष्ण जन्म नंदोत्सव विशेष धूमधाम से मनाया गया। प्रभु के प्रगट होने पर गोपियां बधाई का सामान लेकर आई और भागवत जी में चढ़ाया। चारों तरफ से यही आवाज गूंज रही थी नंंद के आनंद भयो जै कन्हैया लाल की। इस मौके पर कथा पारीक्षत कृष्ण नारायण तिवारी ने सभी श्रृद्धालुओं से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर भागवत कथा का रसपान कर अपने जीवन को सफल बनाएं।