मां मां मां

अशोक सोनी ‘निडर’


सब देवों की देव मां ऐसा सुंदर वेश।
मां के चरणों में रहें ब्रह्मा विष्णु महेश।।
मां ममता का सिंधु है करुणा का अवतार।
मां के आंचल के तले यह सारा संसार।।
मां जग की आवाज है मां जीवन का गान।
मां वाणी है यीशु की मां ही वेद पुराण।।
झरनों का संगीत मां पावन गंगा धार।
मां तुलसी की मंजरी रिश्तों का विस्तार।।
मां मन्दिर का दीप है पूजा का है थाल।
चंदन चावल फूल फल हल्दी धूप गुलाल।।
घेर लेने को मुझे जब भी बलाएं आ गई।
ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गई।।
सदा है साथ मां मेरी मुझे कुछ हो नहीं सकता।
मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है।।

कवि- राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार उप्र के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी/ उत्तराधिकारी संगठन मप्र के प्रदेश सचिव हैं।