निर्मल मन और निश्चल प्रेम से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव: रामभूषण दास

ग्राम मानहड़ में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 10 मई। संसार में ईश्वर को प्राप्त करना है तो हमारा मन एकदम निश्छल और निष्पाप होना चाहिए, हमारे मन में हिंसा द्वेष भावना कदापि नहीं होनी चाहिए, प्राणी मात्र के प्रति प्रेम होना चाहिए तभी ईश्वर की प्राप्ति संभव है। यह बात ग्राम मानहड़ में भाजपा किसान मोर्चा कार्यकारिणी सदस्य रज्जन सिंह भदौरिया द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छटवे दिन महामण्डलेश्वर रामभूषण दास महाराज ने कही।
उन्होंनेने बताया कि यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो हमें अपने मन से द्वेष, पाप एवं समस्त बुराईयों को निकालना होगा, क्योंकि ईश्वर की प्राप्ति केवल निर्मल मन में ही संभव है। उन्होंने अपनी इस बात पर जोर देते हुए बाबा गोस्वामी द्वारा रचित रामचरित्र के माध्यम से कहा कि रामचरितमानस में भी लिखा है ‘निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।’ अथार्थ ईश्वर कहता है कि यदि मुझे प्राप्त करना है तो अपने मन को साफ रखिए, अपने मन में बसी हुई सारी गंदगी को दूर कर दीजिए, क्योंकि छल और कपट मुझे कतई नहीं भाता है। उन्होंने कहा कि इस कलिकाल में राम नाम के स्मरण मात्र से ही मुक्ति हो जाती है, बाबा गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं ‘कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरेहु पारा।’ कलयुग में केवल राम नाम ही मुक्ति का आधार है, इस बात को जानते हुए भी हम अपने इस भोग विलासिता भरे जीवन में थोड़ा सा भी समय निकालकर राम नाम का स्मरण नहीं करना चाहते हैं, जबकि यदि हम अपना और अपने स्वजनों का कल्याण चाहते हैं तो हमें अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर ईश्वर भक्ति की ओर आकर्षित होना पड़ेगा। राम के नाम का सदैव स्मरण करना पड़ेगा, जब जितना समय मिले उस समय परमात्मा को याद रखो, बस यही हमारी मुक्ति का आधार है। प्राणी मात्र के प्रति प्रेम करो, सबके प्रति समभाव रखो।

श्रीमद् भागवत कथा में परीक्षित उमा हाकिम सिंह भदौरिया, जिला शिक्षा अधिकारी हरिभुमन सिंह तोमर, अशोक सिंह तोमर, रामेन्द्र सिंह, उम्मेदपाल सिंह, राघव सिंह, रिपुसूदन सिंह, अरविन्द सिंह भदौरिया, मुकेश सिंह भदौरिया, बादशाह सिंह के अलावा पांच सैकड़ा से अधिक ग्रामीणजन श्रृद्धालु मौजूद रहे।