दीन का अपमान, दीनानाथ का अपमान होता है : मुदगल

ग्राम गाता में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 04 अप्रैल। दीन का अपमान दीनानाथ का अपमान होता है, इसलिए कभी भी किसी गरीब या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि पता नहीं भगवान हमारे यहां किस वेश में आ जाए। एक बार भगवान भिखारी का रूप धारण करके सुदामा के घर पहुंचे और भिक्षा मांगने लगे, जब सुदामा की पत्नी वसुंधरा ने कहा कि हमारे घर में आपको देने के लिए कुछ नहीं है, तो भगवान बोले आपके घर में जो है वही दे दो, तो वसुंधरा ने कहा कि हमारे घर में दालदुर के अलावा कुछ नहीं है, तो भगवान बोले हमे दालदुर ही दे दो, कहकर अंतध्र्यान हो गए। यह उदगार ग्राम गाता में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवे दिन कथा व्यास श्री लखन भाई मुदगल महाराज ने कही।

कथा व्यास मुदगल ने कंस वध, कृष्ण बाललीला, रुक्मिणी विवाह, सुदामा चरित्र का कथा का सुंदर वर्णन किया। जिसे सुनकर उपस्थित श्रृद्धालु आनंद विभोर हो गए और सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर श्रृद्धालुओं की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे। कथा में श्रीश्री 1008 श्री कमलदास जी महाराज टीकरी धाम पधारे और श्रृद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। कथा परीक्षित राजेन्द्र सिंह भदौरिया और उनके सुपुत्र रघुराज सिंह भदौरिया ने ग्राम वासियों से व्यवस्था में सहयोग करने के लिया विशेष आग्रह किया। पूर्व सरपंच भास्कर शर्मा ने कहा कि यदि हमने श्रीमद् भागवत कथा को थोड़ा सा भी अपने जीवन में उतार लिया तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा, इसलिए हमें हमेशा सद्मार्ग पर चलना चाहिए।