भिण्ड, 27 अप्रैल। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने के विषय में प्रस्तुत याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने जो तत्परता दिखाई है, इसके विरोध में अभिभाषक संघ भिण्ड ने राष्ट्रपति के नाम जिलाधीश भिण्ड के माध्यम से ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में अभिभाषकों ने कहा कि भारत विभिन्न धर्मों, जातियों, उपजातियों का देश है। इसमें शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी है। विवाह न केवल दो विषम लैंगिकों का मिलन है, बल्कि मानव जाति का उत्थान भी है। ऐसी दशा में समलंैगिक विवाह को न्यायपालिका द्वारा वैध घोषित किया जाना मानव हित में नहीं है। ज्ञापन देने वालों में अभिभाषक उमाकांत मिश्रा, नरेन्द्र चौधरी, पुष्पेन्द्र सिंह, राजवीर सिंह भदौरिया, शैलेन्द्र सिंह भदौरिया सांकरी, हनुमंत बौहरे, सुभाष गुप्ता, प्रवीण थापक, गुलजार सिंह, उत्तम सिंह राजपूत, रविन्द्र मुदगल, बादशाह सिंह आदि शामिल रहे।