श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिवस धूमधाम से मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
भिण्ड, 25 अप्रैल। हम जीवन भर किसी न किसी संबधों की डोरी से बंधे हुए रहते हैं, लेकिन यदि भगवान के निकट आना है तो संबधो की डोरी ठाकुर जी के साथ जोडऩी पड़ेगी। उनसे कोई रिश्ता जोड़ लो। जहां जीवन में कमी है, वहीं ठाकुर जी को बैठा दो। वे जरूर उस संबंध को निभाएंगे। भक्त और भगवान के संबंधों को बताते हुए यह बात सिद्ध बाबा मन्दिर ग्राम धमसा तहसील गोहद में पंचकुण्डीय श्री विष्णु महायज्ञ और संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में श्री अनमोल कृष्ण महाराज ने कही।
सिद्ध बाबा मन्दिर ग्राम धमसा मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिवस श्रद्धालु कृष्ण रंग में रंगे नजर आए। कृष्ण जन्मोत्सव आनंद और धूम-धाम से मनाया गया। कृष्ण झाकियों ने सभी का मन मोह लिया।
प्रसंग के दौरान श्रृद्धालु नंदलाला प्रकट भये आज, बिरज में लडुआ बंटे, नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की, आना आना रे आना नंदलाल आज हमारे आंगन में जैसे भजनों पर झूमते रहे, नंद और यशोदा के लाला की जय के उद्घोष कथा पण्डाल में गूंजते रहे। जन्मोत्सव के उपरांत विधिवत कृष्ण पूजन के बाद माखन मिश्री प्रसाद का वितरण किया गया।
कथा की शुरुआत बलि-वामन प्रसंग से हुई। कथावाचक अनमोल कृष्ण जी महाराज ने प्रभु भक्ति की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान विष्णु राजा बलि को वामन अवतार में छलने आते हैं। वे राजा बलि से तीन पग जितनी भूमि मांग लेते हैं। राजा बलि के गुरू उनका साक्षात्कार ईश्वर से कराते हुए उन्हें संकल्प लेने से रोकते हैं। राजा बलि के आग्रह पर जब भगवान विष्णु वामन अवतार से अपने विराट स्वरूप में आकर दो ही पैर में संपूर्ण ब्रह्माण्ड को माप लेते हैं। राजा की परीक्षा लेते हुए पूछते हैं कि तीसरा पैर कहां रखूं, अन्यथा नरक भेज दूं। राजा बलि ने अपने संकल्प की रक्षा करते हुए प्रभु भक्ति में भगवान से अपना तीसरा पैर उन पर रख उन्हें भक्त रूप में स्वीकार करने को कहा। राजा बलि के भक्त प्रेम के आगे स्वयं भगवान हार गए और राजा बलि के महल का द्वारपाल बन उन्हें स्वीकारा। बलि-वामन प्रसंग की संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला
अराध्य प्रभु भगवान श्रीराम के जन्म और उनके जीवन चरित्र का बखान करते हुए महाराज ने कहा कि भगवान राम का जीवन चरित्र हमें सिखाता है कि मित्रों के साथ मित्र जैसा, माता-पिता के साथ पुत्र जैसा, सीता जी के साथ पति जैसा, भाइयों के साथ भाई जैसा, सेवकों के साथ स्वामी जैसा, गुरू के साथ शिष्य जैसा व्यवहार कैसे किया जाता है। जो भगवान राम के जीवन चरित्र को अपने जीवन में चरितार्थ करेगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
विधिवत आरती व पूजन के साथ कथा के चौथे दिन का समापन हुआ। इस दौरान कथा में श्रीश्री 1008 सोमेश्वर बाबा, श्रीश्री पप्पू बाबा, मातादीन उपाध्याय, शिवचरण उपाध्याय, ओमप्रकाश उपाध्याय, रामस्वदेश शर्मा, परसराम उपाध्याय, राधेश्याम बसेडिय़ा, सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, नरेन्द्र शर्मा, रामसेवक शर्मा, राधाकृष्ण मुदगल, राधेश्याम उपाध्याय, दर्शनलाल उपाध्याय, केदार प्रसाद उपाध्याय, राधेश्याम शर्मा, बीएन शर्मा, रमेश शर्मा, अनिल शर्मा, नरेन्द्र परमार, कोमल सिंह धाकरे, राकेश शर्मा, गजेन्द्र सिंह कुशवाह, देवदत्त दण्डोतिया, नाथूराम बरुआ, राजवीर सिंह सिकरवार, सुदीप कटारे, पुनीतराम पाठक आदि ग्रामवासी उपस्थित हुए।