मुनिश्री विनय सागर के सानिध्य में चल रहे 32 मण्डलीय सिद्धचक्र विधान का हुआ समापन
इन्द्र-इन्द्राणियों ने जिनेन्द्र देव के समक्ष किया नृत्य, गूंजे जयकारे
भिण्ड, 03 अप्रैल। जिले के ग्राम रानी विरगांव स्थित दिगंबर अदिनाथ जैन मन्दिर समिति व सकल जैन समाज के तत्वावधान में श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य राजेन्द्र जैन के मार्गदर्शन में मन्दिर में चल रहे 32 मण्डलीय श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान के समापन एवं भगवान महावीर के जन्म कल्याणक महोत्सव पर सोमवार को पालकी शोभायात्रा निकली गई। जो जैन मन्दिर से शुरू होकर रानी विरागवां गांव के मुख्य मार्गों से होती हुई वापिस मन्दिर पहुंची।
आयोजन समिति के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज के मंगल सानिध्य एवं विधानचार्य राजेन्द्र जैन शास्त्री के मार्गदर्शन में में गाजे-बाजे के साथ भगवान महावीर स्वामी की पालकी शोभायात्रा जैन मन्दिर से शुरू हुई। शोभायात्रा में इन्द्रा इन्द्राणी व महिलाएं और पुरुष भक्ति नृत्य के साथ जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। महावीर स्वामी को पालकी विराजित कर जैन समाज के लोग कंधे पर लेकर चल रहे थे। युवा व बालक जैन ध्वज फहराया रहे थे। पालकी शोभायात्रा जैन मन्दिर से शुरू होकर विरागवां के मुख्य मार्गों से घूमती हुई वापस मन्दिर पहुंचकर संपन्न हुई। जहां आयोजन समिति के पादधिकारियों ने विधानचार्य राजेन्द्र जैन शास्त्री का श्रीफल व शॉल देकर सम्मान किया।
संस्कृति की रक्षा करना है तो मानव को संस्कृत का ज्ञान होना जरूरी : विनय सागर
श्रमण मुनि श्री विनय सागर महराज ने कहा कि वैदिक मंत्रों व संस्कृति कर रक्षा के लिए संस्कृत प्रचाीन भाषा है, जो धर्म से मानव का जोड़ती है। संस्कृति की रक्षा करना है तो मानव को संस्कृत का ज्ञान होना जरूरी है। वर्तमान मे संस्कृत भाषा की स्थिति दयनीय है। संस्कृति का थोड़ सा ज्ञान होने पर विद्यार्थी पूजा-पाठ व कर्म काण्ड से जुड़ जाते हैं। शिक्षा अधूरी छोड़ देती है, अधूरा ज्ञान होने से वे पूरी तरह जानकार नहीं हो पाते है। देव भाषा संस्कृत के संरक्षक के लिए अब सामूहिक प्रयास जरूरी है।