परिवार में यदि सुख शांति समृद्धि लाना है तो क्रोध को छोडऩा ही पड़ेगा : विनय सागर

मुनिश्री के सानिध्य में सिद्धचक्र विधान में पंच परमेष्ठी को 1024 महाअघ्र्य समर्पित किए

भिण्ड, 02 मार्च। क्रोध में किया गया हर कार्य व निर्णय हमेशा तकलीफ दायक सिद्ध होता है, जो हमारे ज्ञान के धारक हैं, हमारे ज्ञान प्रदाता हैं, हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए। अहंकार आदमी का सबसे बड़ा शत्रु है। यह बात श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने रविवार को ग्राम रानी विरागवां स्थित दिगंबर अदिनाथ जैन मन्दिर में आयोजित 32 मण्डलीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि क्रोध व्यक्ति के जीवन में विनाश ही लाता है। हम किसी भी देवी-देवता व परमात्मा को मानें, पर हर स्थिति में हमे क्रोध पर अंकुश रखना चाहिए। क्रोध विनाशक शक्ति है। परिवार में यदि सुख, शांति, समृद्धि लाना है तो क्रोध को छोडऩा ही पड़ेगा। यदि हमारे मन में किसी व्यक्ति विषेश के प्रति अलगाव है, भले ही हम वाणी के माध्यम से प्रकट न करें। हमारे अंदर चल रहे अणु परमाणु इसका संकेत दे देते हैं कि इस व्यक्ति से हमार अलगाव है। जितना हो सके प्रेम और वात्सल्य का वातावरण फैलाने का प्रयास करें। हमारे भाव व्यापार में ऐसे हो कि हम इस व्यापार से मेरे परिवार के साथ मेरे सारे अधिनस्थों का भी पालन पोशण कर सकूं। जीवन में अतिलोभ भी नुकसान दायक सिद्ध होता है। सभी धर्मों ने मनुष्य को सद्मार्ग बताए हैं। हम हमारी पीढ़ी कों संस्कारों से युक्त बनाएं।
मुनिश्री ने भगवान जिनेन्द्र की बृहद शांतिधारा कराई
32 मण्डलीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान विधानचार्य पं. राजेन्द्र जैन शास्त्री के मंत्रोच्चारण से इन्द्रो ने जिनेन्द्र देव का अभिषेक जयकारों के साथ किया। मुनिश्री ने अपने मुखारबिंद से मंत्रों का महा उच्चारण कर बृहद शांतिधारा इन्द्रों ने की। अभिषेक के उपरांत भगवान की महाआरती सामूहिक रूप से की गई। विधान में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर मुकुट, गले में माला पहनकर पूजा आर्चन कर भक्तिभाव के साथ अतिंम दिन जिनेन्द्र देव के समक्ष 1024 महाअघ्र्य समर्पित किए गए।
महावीर जयंती व विधान के समापन पर निकालेगी रथ यात्रा आज
मुनिश्री के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनि श्री विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य राजेन्द्र जैन के मार्गदर्शन में महावीर जयंती एवं सिद्धचक्र महामण्डल विधान महोत्सव के समापन पर तीन अप्रैल को सुबह सात बजे रथयात्रा गाजे-बाजे के साथ अदिनाथ जैन मन्दिर से शुरु होकर मुख्य मार्गों से होती हुई वापस जैन मन्दिर पहुंचेगी।