बच्चों को सिर्फ कागजी पढ़ाई की शिक्षा न दें बल्कि धर्म व संस्कारों की भी शिक्षा दें : विनय सागर

रानी विरागवां में मुनिश्री के सानिध्य में चल रहा है 32 मण्डलीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान

विधान में 64 अघ्र्य समर्पित कर सिद्धों की आराधना गूंजी, शाम को आरती हुई

भिण्ड, 30 मार्च। बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं, जिस आकार में ढाल दो, उसी आकार में ढल जाएंगे। बच्चों को अगर सही दिशा मिल जाए, तो वही बच्चे आने वाले समय में भगवान महावीर, श्रीराम बन सकते हैं और अगर भटक जाएं तो रावण बनने में भी देर नहीं लगती। बिना शिक्षा के जीवन का कोई महत्व नहीं होता। बच्चे मां-बाप के सपने और गौरव होते हैं। मां-बाप मजदूरी करके अपने बच्चों को पढ़ाते लिखाते हैं ताकि हमारा बच्चा आगे चल कर योग्य बने, धर्म संस्कृति और देष मे नाम रोशन करे। अपने मां बाप के सपनों को तोडऩा नहीं चाहिए। शिक्षक भी बच्चों को सिर्फ कागजी पढ़ाई की शिक्षा न दें बल्कि धर्म व संस्कारों की भी शिक्षा दें। यह उद्गार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने गुरुवार को ग्राम रानी विरागवां स्थित दिगंबर आदिनाथ जैन मन्दिर में आयोजित 32 मण्डलीय सिद्धचक्र महामण्डल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि धर्म गुरुओं द्वारा दी गई धर्मिका स्ंस्कारों की शिक्षा बच्चों के भविष्य में बहुत काम आती है। इंसान को एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए हजारों गुण चाहिए होते हैं, लेकिन भविष्य बिगाडऩे के लिए एक अवगुण ही काफी है। बच्चे स्कूल में ही अपने भविष्य का निर्णय लेते हैं, बच्चा जब स्कूल जाता हैं तो मां टिफिन में एक पराठा रख दिया करती है कि भूख लगेगी तो खा लेगा। लेकिन वही मां जब बूढ़ी हो जाती है तो वह भूखी सोया करती है। इस मौके पर पारस जैन, मिंटू जैन, मोहित जैन, छोटू जैन, अखिल जैन, पप्पू जैन आदि मौजूद थे।
मुनिश्री ने रिद्धि मंत्रों ने बृहद शांतिधारा कराई, इन्द्रों ने उतारी आरती
मुनिश्री के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि सिद्धचक्र महामण्डल विधान विधानचार्य राजेन्द्र जैन शास्त्री ने मंत्रोच्चारण के साथ सौधर्म इन्द्रा सहित इन्द्रों ने प्रभू का ध्यान लगाकर चारों कोणों पर खड़े हुए चार इन्द्रों ने चारों ओर से जिनेन्द्र देव के ऊपर अभिषेक जयकारों के साथ किया। मुनिश्री ने अपने मुखारबिंद से रिद्धि मंत्रों प्रथम बृहद शांतिधारा रमेश जैन, रवि जैन, सौरभ जैन भिण्ड, दूसरी छक्कीलाल जैन, मोंटू जैन, मनोज जैन, मनीष जैन, दीपक जैन दिल्ली, तीसरी शुभम जैन अन्नू, अमन जैन गोलू भिण्ड, चौथी रमेश जैन, आशा जैन, आशु जैन रानी बिरगवां परिवार, पांचवी ज्ञानचंद्र जैन, बल्लू जैन ऊमरी वाले एवं छठवीं भगचंद्र जैन, सुनील जैन, सुशील जैन, आशीष जैन परिवार ने की। अभिषेक के उपरांत भगवान जिनेन्द्र की महाआरती महिलाओं ने सामूहिक रूप से की।
महोत्सव में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने मिलकर 64 अघ्र्य किए समर्पित
सिद्धचक्र विधान में मुनि श्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर मुकुट, गले में माला पहनकर भक्तिभाव के साथ पूजा आर्चन कर सिद्ध प्रभू की आराधना करते हुए 64 महाअघ्र्य जिनेन्द्र देव के सामने समर्पित किए।