किला जैन मन्दिर में हुए गणाचार्यश्री के प्रवचन
भिण्ड, 26 मार्च। आज का आदमी स्वार्थ का जीवन जी रहा है, जिसके कारण स्वयं के साथ छल कर रहा है, अगर स्वयं के साथ सब अच्छा-अच्छा चाहते हो तो किसी के साथ स्वार्थ से युक्त कार्य मत करो, हां अगर किसी के साथ होना ही है तो उसका सारथी बनो, स्वार्थी नहीं। परोपकारी जीवन जिओ फिर तुम्हें स्वयं के सुख शांति के लिए किसी प्रकार कि अलग से मेहनत या पूजा करने कि आवश्यकता नहीं होगी। यह उद्गार गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने रविवार को किला जैन मन्दिर में व्यक्त किए।
गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने कहा कि अतीत के पुण्य या पाप के उदय में अगर तुम सुख या दु:ख भोग रहे हो तो एक बात याद रखना ये दोनों क्षणिक मेहमान है। सुख भी जाएगा और दु:ख भी, बस स्वयं की सुरक्षा के लिए सुख आए तो ज्यादा खुशी मत मनाना, दिखाबा मत करना नहीं तो नजर लग जाएगी और दु:ख आऐ तो दु:खी मत होना, दोनी में सहजता रखना समानता रखना। सुख में फूलना मत और दु:ख में कूलना मत, तो जीवन में बिना मेहनत की सुख शांति प्राप्त करोगे। कोई क्रोध में नाग बने तो तुम लाठी मत उठाना बल्कि बीन लेकर उसे अपनी मधुर मुस्कान रोपी धुन से उसमे अपना बनाना। क्रोध का जबाब क्रोध से नहीं शांति से देना, किसी का घाव कुरेदो मत वल्कि उस दु:खियारे के दु:ख दर्द में मरहम बन जाओ तो प्रभु की रहम तुम पर स्वत: ही हो जाएगी और हां बच्चों से कहूंगा कि कभी होने मां-बाप का दिल मत दुखाना, क्योंकि वास्तविक भगवान तो वही है। मन्दिर का भगवान तो तुम्हें उनके जीवन देने बाद मिलता है पर जीवन देने बाले भगवान तो मां-बाप ही हैं। मां-बाप कभी डांट दें तो उन्हें पलटकर जबाब मत देना और उनकी डांट को जीवन की आंट समझकर रख लेना, क्योंकि जिस शीशी में डांट रूपी आंट होती है, इसमे सामाग्री सुरक्षित रहती है। तुम भी डांट को सुरक्षा सफलता की आंट समझकर उनका सम्मान करो और अपना जीवन सफल करो।
आज पूर्व मंत्री राकेश चौधरी ने सतसंग में शिरकत कर संतश्री का आशीर्वाद लिया। साथ ही स्थानीय श्रृद्धालुओं के साथ दिल्ली, देहरादून, ग्वालियर, इटावा, सूरत, कानपुर, लखनऊ, फिरोजाबाद आदि जगह से भी श्रृद्धालु उपस्थित रहे, सभी में अपने-अपने नगर पधारने के लिए मुनिश्री से निवेदन किया।