
– अशोक सोनी ‘निडर’
ये स्वर ये बोल ये गीत और कुछ नहीं बस श्रृद्धा के फूल हैं जो प्रात: स्मरणीय मन कामेश्वरी महाकाली मां एवं श्रृद्धा मूर्ति श्री गुरु बाबा जी महाराज श्री वरदौली सरकार की असीम कृपा से न जाने कब इस झोली में भर आए और अब ये उसी रूप में समर्पित हैं उन्हीं के श्रीचरणों में
नवदुर्गा के नौ दिन भक्तों, जो माता का ध्यान करे।
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, मां उसका उद्धार करे।।
जो मैया की ज्योति जलाबे, मां उसका भण्डार भरे।
भंवर फंसी हो जिसकी नैया, मां ही बेड़ा पार करे।।
प्रथम शक्ति के रूप में भक्तो, शैल पुत्री आई है।
भक्तों को दर्शन देने को नवदुर्गा कहलाई है।।
दूजी देवी ब्रह्मचारिणी, तीजी मां चंद्रघंटा है।
एक ब्रह्म का दर्श कराती, एक का बाजत डंका है।।
चौथी कुष्मांडा देवी ने, कैसा रूप दिखाया है।
सारे जग को इस माता ने, अपने उदर समाया है।।
पांचवी देवी स्कंदमाता, छटवीं मां कात्यायनी है।
भक्तों के दुख हरने वाली, माता ये वरदायिनी है।।
सातवीं देवी कालरात्रि, दुष्टों का संहार करे।
मां गौरी बन आठवीं देवी, भक्तों से मां प्यार करे।।
नौवीं मैया सिद्धिदात्री, सिद्धि देने वाली है।
मनोकामना पूरण करती, भक्तों की मां प्यारी है।।