गांजा विक्रय करने वाले आरोपी को 10 वर्ष एवं सहआरोपियों को एक-एक वर्ष का कारावास

न्यायालय ने आरोपी पर एक लाख एवं सहआरोपियों पर पांच-पांच हजार का जुर्माना लगाया

सागर, 28 फरवरी। विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36(1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर श्री अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने पान की गुमठी से गांजे का विक्रय करने वाले आरोपी केदार मिश्रा को स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा 8, सहपठित धारा 20(बी)(आईआई)(सी) के तहत 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रुपए अर्थदण्ड एवं गांजे विक्रय के सह-आरोपीगण शंभू सोनी एवं भरतलाल तिवारी को स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा 8, सहपठित धारा 20(बी)(आईआई)(बी) के तहत एक-एक वर्ष का कठोर कारावास एवं पांच-पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक संजय कुमार पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 25 अक्टूबर 2017 को थाना गौरझामर में पदस्थ निरीक्षक को मुखबिर से सूचना मिली कि आरोपी केदार मिश्रा बस स्टेण्ड रोड के बाजू में स्थित पान की गुमटी से मादक पदार्थ गांजे का विक्रय कर रहा है। मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस अधिकारी हमराह स्टाफ सहित आरोपी केदार मिश्रा निवासी गौरझामर हनुमान मन्दिर बस स्टेण्ड के बाजू में उसकी पान की गुमटी पर पहुंचे, जहां आरोपी केदार मिश्रा उपस्थित मिला। जिससे साक्षियों के समक्ष नाम पता पूछने पर अपना नाम व पता बताया। विधिकि कार्रवाई उपरांत तलाशी लेने पर आरोपी केदार मिश्रा की पान की गुमटी के अंदर दो प्लास्टिक की बोरियां रखी मिलीं, जिसमें मादक पदार्थ गांजा था, जिसे समक्ष गवाहान तलाशी पंचनामा तैयार किया गया। आरोपी केदार मिश्रा को पुलिस रिमाण्ड पर लेकर पूछताछ करने पर उसने बताया कि गांजा विक्रय करने के लिए भरतलाल तिवारी और शंभूदयाल सोनी द्वारा दिया जाता था, फिर अभियुक्त शंभूदयाल सोनी के घर स्थित शिवानी जनरल स्टोर से विधिक कार्रवाई उपरांत गांजा जब्त किया गया तथा अभियुक्त भरतलाल तिवारी के मकान की तलाशी लेने पर उसके घर से एक थैले में हरे मटमैले रंग का पत्तीदार गांजे जैसा पदार्थ जब्त किया गया एवं अन्य वैधानिक कार्रवाई संपन्न की गई। अभियुक्तगण का कृत्य 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत पाए जाने से उनको गिरफ्तार कर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना गौरझामर में धारा 8, सहपठित धारा-20(बी)(आईआई)(आ) एवं धारा-8, सहपठित धारा-20(बी)(आईआई)(ग) एनडीपीएस एक्ट 1985 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत न्यायालय विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर श्री अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुए आरोपीगण को उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।