एकता में बल है विभाजन में पतन है : राकेश कोठारी

गहोई वैश्य समाज दबोह ने भक्तिमय ढंग से मनाया गहोई दिवस

भिण्ड, 22 जनवरी। गहोई वैश्य समाज द्वारा दबोह नगर में स्थित गहोई धर्मशाला में शनिवार को हर्षोल्लास के साथ गहोई दिवस मनाया। जिसमे सर्वप्रथम सभी गहोई समाज के पुरुष-महिलाओं एवं युवक-युवतियों ने सामूहिक रूप से सुंदरकाण्ड पाठ किया। तदुपरांत राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त के छायाचित्र के साथ शोभायात्रा निकाली गई। जिसका गहोई वैश्य समाज के ही व्यक्तियों द्वारा जगह-जगह पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। यह शोभायात्रा गहाई धर्मशाला से प्रारंभ होकर चौक मोहल्ला होते हुए कौंच रोड पर भ्रमण करते हुए वापस गहोई धर्मशाला में एक सामाजिक सम्मान समारोह कार्यक्रम में परिवर्तित हो गई। कार्यक्रम का आगाज राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की तस्वीर पर माल्यापर्ण कर दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप गहोई वैश्य समाज चंबल क्षेत्र सभा के अध्यक्ष प्रेम नारायण खनताल व विशिष्ट अतिथि के रूप में गहोई दर्पण के संपादक वरुण कस्तवार एवं दतिया गहोई युवा सेना के संस्थापक अभय गुप्ता रहे। वही अध्यक्षता बलराम विजपुरिया एवं मंच संचालन रजनीश पिपरसेनिया ने किया।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम गहोई समाज की महिला सरिता गुप्ता ने स्वागत गीत गुनगुनाते हुए बाहर से आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। यह कार्यक्रम गहोई बुजुर्गों को प्राथमिकता देते हुए मातृशक्ति को समर्पित किया गया। वहीं बुजुर्गों को शॉल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इसी क्रम में गहोई समाज को गौरान्वित करने बाले छात्र-छात्राओं एवं युवक-युवतियों को भी सम्मानित किया गया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित इंजीनियर राकेश कोठारी ने गहोई समाज के व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सबको इसी प्रकार एकत्रित होकर संगठन को आंगे बढ़ाना है और मुझे विश्वास है कि आप सभी लोग मेरे द्वारा बताए गए शब्दों पर खरे भी उतरेंगे। उन्होंने युवाओं से कहा कि आप सभी युवा भी अपनी जिम्मेदारियों को समझे समाज के संगठन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें, समाज के प्रति सहानुभूति रखें और एकत्रित हो कर संगठन को आंगे तक ले जाएं। क्योंकि एकता में ताकत में बल है, विभाजन में पतन है। इसलिए हमें अधिक से अधिक सख्या में एक रहने की आवश्यकता है।
वहीं मातृ शक्ति एवं गहोई बेटियों को संदेश देते हुए गहोई समाज की बेटी कु. शिवानी पीपरसेनिया ने कहा कि आज हमारे देश में महिला दिवस मनाते है, महिला आरक्षण और महिला सशक्तिकरण के वादे होते हैं, क्या इस 33 प्रतिशत आरक्षण से महिला सुरक्षित है, आज के इस शिक्षित समाज मे भी नारी को उसके संस्कारों और गुणों से आंकलन नहीं किया जाता है, बल्कि उसके रंग, रूप, उसकी हाइट और सुंदरता से आंकलन किया जाता है और ये कुरीतियां सबसे ज्यादा शिक्षित समाज में हो रही हैं, इन्हीं कुरीतियों के चलते एक बेटी अपने पिता पर बोझ बनती जा रही है। आज भी एक लड़की अपने घर की दहलीज पार करने में झिझकती है, क्योंकि सवाल उसके परिवार पर उठेंगे, देश और समाज में होने वाली ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि महिला सशक्तिकरण एक ढोंग है। उन्होंने कहा कि एक नारी को, एक बेटी को न शिक्षा, न नौकरी, न राजनीति के संबंध में अगर आरक्षण लेना है अगर आपको आरक्षण देना ही है तो मां के गर्भ में दो। क्योंकि नारी को 33 प्रतिशत आरक्षण नहीं चाहिए, वो इतनी सक्षम है कि बिना आरक्षण के ऊंचाइंयां पा सकती है।
वहीं बाहर से आए अतिथियों ने रजनीश पिपरसेनिया को मंच संचालन करते हुए देखा तो उनकी कार्यशैली से खुश हो कर उन्हें चंबल क्षेत्रीय सभा का सयोजक बना दिया। अंत में सभी गहोई वैश्य सजातीय बंधुओं का बलराम विजपुरिया ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर साधू कोठारी, विष्णु बिलैया, केशव विजपुरिया, रामनिवास कुचिया, सीताराम सेठ, रामसेवक पीपरसेनिया, महेश चंद्र कुरेले, ओमप्रकाश तरसोलिया, अभय सेठ, राकेश कोठारी, चंद्रभान सेठ, अखिलेश गुप्ता, मनोज खर्द, राजू कुचिया, श्यामबिहारी कुरेले, गिरजाशंकर गुप्ता, राजू विजपुरिया, मनोज पहारिया, राजीव अमर, रजनीकांत रजा, विनय बिलैया, मनीष रीखोलिया, अर्पित सेठ (भैया), अजय पीपरसेनिया (बबलू), राजीव लहरिया, टिंकू कुरेले, सानू सेठ, शिवम खर्द, रामू कुरेले, शांतनु पिपरसेनिया, वासू कोठारी, अनुभव पीपरसेनिया, अरविंद गुप्ता आदि गहोई वैश्य समाज के लोक उपस्थित रहे।