युवाओं को स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेनी चाहिए : श्रीवास्तव

अभा कायस्थ महासभा ने मनाई स्वामी विवेकानंद की जयंती

भिण्ड, 12 जनवरी। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा जिला भिण्ड द्वारा गुरुवार को स्वामी विवेकानंद जी की 168वी जयंती बद्री प्रसाद की बगिया में मनाई गई। इस मौके पर महासभा जिला अध्यक्ष श्याम मोहन श्रीवास्तव, युवा अध्यक्ष अमित श्रीवास्तव रितिक श्रीवास्तव आदि चित्रांश बंधु उपस्थित हुए।
कार्यक्रम में कायस्थ महासभा अध्यक्ष श्याम मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ। उनका घर का नाम नरेन्द्र दत्त था, उनके पिता विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे, वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे, नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी, इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ, सन 1884 में विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई, घर का भार नरेन्द्र पर पड़ा, घर की दशा बहुत खराब थी, अत्यंत गरीबी में भी नरेन्द्र बड़े अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रातभर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते। रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनकर नरेन्द्र उनके पास पहले तो तर्क करने के विचार से ही गए थे। उन्होंने भारत की राष्ट्रवाद, धर्म एवं भारतीय दर्शन की अबधारणा की ध्वजा पताका पूरे विश्व में फैलाई। हम सब लोगों को आज युवा दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेनी चाहिए कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों एवं राष्ट्रवाद की अभिधारणा से जोड़ा जाए।