संविधान और यूनियन मिलकर करती है मजदूरों के अधिकार की रक्षा

मालनपुर में विधिक शिविर आयोजित

भिण्ड, 09 जनवरी। भारतीय संविधान के खिलाफ वर्तमान केन्द्र सरकार मजदूरों का शोषण करने पर उतारू है, इतना शोषण किसी भी सरकार में देखने को नहीं मिला। वर्तमान केन्द्र सरकार अडानी, अंबानी आदि के दवाव में आकर आज भारत वर्ष में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह बात औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर के भारत मार्केट में आयोजित विधिक शिविर में लॉयर्स यूनियन के ग्वालियर जिलाध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त न्यायाधीश रतन कुमार वर्मा ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालयीन शिक्षक संघ के संभागीय संयोजक पुरुषोत्तम श्रीवास ने की।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश रतन कुमार वर्मा ने ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता एवं मजदूरों से कहा कि अंग्रजों की हुकूमत में वर्ष 1886 में पहला आंदोलन मजदूरों का हुआ, जिसमें सैकड़ों आंदोलन कारी मजदूर शहीद हुए, यह एक खूनी आंदोलन था, उन्हीं मजदूरों के खून से लथपथ लाल झण्डा यूनियन को मिला, उसी क्रम में बर्ष 1922 में मजदूरों के हक की लड़ाई के लिए ट्रेड यूनियन एक्ट गठन हुआ। मजदूरों ने अपने शोषण के खिलाफ लम्बा संघर्ष किया, स्वाधीनता संग्राम के समय 1936 में मजदूर संगठन बन गया था, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू कर दी थी, आजादी के बाद भारत का संविधान बना, उसमें श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक कानून बने, उसमें एक कार्य क्षेत्र में अपनी यूनियन बनाने का अधिकार है।


आल इंडिया लायर्स यूनियन के प्रांतीय सचिव एवं ग्वालियर हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट रविन्द्र सरवटे ने मजदूरों के संविधान अधिकार और वर्तमान परिस्थिति विषय पर विचार रखते हुए बतया कि जब संविधान बना उस समय एक इकाई में न्यूनतम आठ श्रमिक काम करते थे, वहां यूनियन बनाने का अधिकार था, 1991 नई औद्योगिक नीति के कारण औद्योगिक क्षेत्रों का विखण्डन हुआ, उसके बाद मोदी भाजपा सरकार ने संविधान संशोधन कर न्यूनतम 300 श्रमिक जिस औद्योगिक क्षेत्र में काम करते हैं वहां यूनियन बनाने का अधिकार होगा, इससे श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा, क्योंकि श्रम संगठन खत्म हो जाएंगे । वर्तमान सरकार मजदूरों का ध्यान बांटने के लिए भारत के नेता कहीं धर्म के नाम पर तो कहीं जातियों के आधार पर समाज में फूटन डालकर आपस में लड़ाने का काम करते नजर आ रहे हैं। भारतीय संविधान में लोकतंत्र, समाजवाद, धर्म निरपेक्षता, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। भारतीय संविधान को बचाने के लिए हमसब मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों को एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए।
लॉयर्स यूनियन के जिला सचिव एडवोकेट शैलेश बौहरे ने कहा कि मजदूरों के हक और अधिकारों की रक्षा संविधान एवं श्रम संगठन मिलकर कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पुरुषोत्तम श्रीवास ने कहा कि श्रमिकों को अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों को पढऩा एवं संगठित होना होगा। सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू के जिला महासचिव अनिल दौनेरिया ने कहा कि भाजपा मोदी सरकार द्वारा श्रमिकों के अधिकारों को कुचला जा रहा है, उसके खिलाफ पांच अप्रैल 2023 को दिल्ली में संसद का घेराव किया जाएगा। आभार सीटू जिला उपाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने व्यक्त किया। इस मौके पर एडवोकेट स्वाति भार्गव, केके शर्मा, उदय सिंह श्रीवास, नारायण शर्मा, राजेन्द्र सिंह कुशवाह, रहीस खान, श्रीलाल माहौर, कु. भारती शर्मा, वीरेन्द्र सिंह कुशवाह, रिंकू गुर्जर, चोखेलाल, संजना शर्मा, अनीता गोस्वामी, भारती कुशवाह, लक्ष्मी जाटव, रामाबाई, प्रेमनारायण माहौर, समीना, बड़े गुर्जर, साहरुख, पानसिंह, हरीसिंह, रामनरेश, रामचित, महेश गोस्वामी आदि उपस्थित थे।